आधुनिकता के इस दौर में दिन प्रतिदिन भूलते जा रहे हैं हम बड़ों का मान सम्मान ,,लेखक हेमराज राणा सिरमौर.

आज हम सभी ने आधुनिकता के उस दौर में प्रवेश किया है जहां पर हमें हर वह सुविधा ओर नई नई खोज और अनेकों आविष्कार हमारे भविष्य के निर्माताओं ने किए हैं जहां पर हमें हर वह सुविधा उपलब्ध हो रही है जिनकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी आज जिस देव भूमि हिमाचल में हम रहते ओर जीवन ज्ञापन करते है वहां की संस्कृति और सभ्यता बहुत ही सराहनीय और हम सभी का गौरव है परन्तु आज के इस आधुनिक युग में हमने हर सुख सुविधाओं के वावजूद भी अपने से बड़ों का मान सम्मान और आदर करना भूल गए हैं और बुजुर्गो ओर बडो के बुढ़ापे की लाठी बनना ओर सहारा देना जेसे भूल ही गए हैं जिसका मुख्य कारण हमारे युवाओं का नशें की ओर अग्रसर होना भी एक बड़ा कारण रहता है जो भविष्य के लिए बहुत ही दुखद ओर चिंतनीय विषय है आज का युवा नशे के इस दलदल में इतना मशगूल ओर डूब चुका है कि उसके लिए अपने मां बाप और अपने से बड़ों का मान सम्मान और आदर करना जेसे भूल ही गया है और आज के भागमभाग के जीवन में हमने अपने बच्चों में कहीं ना कहीं अपने से बड़ों का आदर करना और मान-सम्मान जेसी शिक्षा से महरूम रख दिया है जिसका नतीजा आज यह है कि जो शिक्षार्थी आज भविष्य की नींव रख रहा है उसके अन्दर मान सम्मान और आदर की भावना कहीं ना कहीं कमी देखने को मिल रही है आज की शिक्षा प्रणाली भी कहीं ना कहीं आधुनिकता की भेंट चढ़ रही हैं क्योंकि स्कूलों,कोलेजो में आज शिक्षा जैसी संस्थाओं में व्यापारीकर्ण हों रहा है जहां पर शिक्षा केवल बड़ी बड़ी डिग्रियां ओर रोजगार प्राप्त करने तक सीमित रह गयी है जबकि शिक्षा ही एक ऐसा बड़ा माध्यम है जहां पर हम शिक्षा के साथ साथ अपनों से बड़ों का मान सम्मान और आदर करना सीखते हैं और उसका पूरे जीवन में निर्वाह भी करते हैं आज यह प्रश्न बहुत ही चिंताजनक ओर भविष्य के लिए घातक सिद्ध भी हो सकता है कि हम आधुनिकता के इस दौर में अपने मां बाप और बड़ों को मान सम्मान और आदर करना दिन प्रतिदिन भूलते जा रहे हैं जो कि हिमाचल जैसे देव भूमि प्रदेश के लिए बहुत ही दुखद विषय है आज हमारा प्रदेश पूरे भारतवर्ष में अपनी प्रतिभा से राष्ट्रीय ओर अंतराष्ट्रीय स्तर पर अनेकों उपलब्धियां हासिल कर रहा है चाहे वह खेल का क्षेत्र हो चाहे अन्य कोई क्षेत्र परन्तु हिमाचल ने अपना वर्चस्व हर जगह क़ायम किया है तो उसी परिप्रेक्ष्य में हमें आज बड़ों का मान सम्मान और आदर करना भी नहीं भूलना होगा ताकि हमारे मां बाप और समाज हमारे आदर भाव ओर मान सम्मान से हम पर फक्र महसूस करें और भविष्य में हम भविष्य की एक ऐसी पौध का निर्माण कर पाएं जहां पर हम शिक्षा, रोजगार ओर नई नई बुलंदियों के अलावा अपनों से बड़ों का मान सम्मान और आदर करने का एक बड़ा वटवृक्ष भी खड़ा कर पाएं , अन्यथा हम भविष्य में इतना आगे चलें जाएंगे जहां हमें आधुनिकता के इस दौर में अपने आप से भी यह प्रश्न पूछने का ना समय होगा ना ही अपने अनुजो ओर अपने बच्चों को इस शिक्षा से भलिफूत कर पाएंगे जो , जो आदर और सम्मान आज से 10 साल पहले अपनो से बड़ों के प्रति सम्मान और आदर रहता था जिसमें की उनके पांव छूकर आशीर्वाद लेना और शान्त स्वभाव और विनम्र होकर बड़ों का मान रखना ज़िन्दगी के दौर में बड़ों का अनुसरण करना और अपनों से बड़ों के प्रति एक डर ओर संस्कारित रहना उस समय के युवा की सबसे बड़ी पूंजी ओर एक अनूठी पहचान थी आज हम सभी वो सब आदर सम्मान धीरे धीरे भूलते जा रहे हैं और ना-मात्र के आदर और सम्मान देने की औपचारिकताओं का निर्वाह होता जा रहा है जो हम सभी ओर हमारे भविष्य के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होने वाला है आज हम सभी को एक ऐसे वातावरण और संस्थाओं में रहने की परम आवश्यकता है जहां पर हम अपने भविष्य को संवारने के साथ साथ अपनी संस्कृति, बड़ों के प्रति आदर रहें और छोटों के प्रति प्यार बना रहे और आने वाले बच्चों और भविष्य में इस वातावरण को पंख दे पाएं,आज सरकार को भी इस विषय पर कुछ गम्भीर क़दम उठाने की परम आवश्यकता है, ताकि भविष्य में कुछ परिवर्तन देखने को मिले क्योंकि बड़े ओर बुज़ुर्ग है मान सम्मान और आदर के हकदार…

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