920 दफ्तर बंद नहीं करते, तो वेतन कैसे देते –मुख्यमंत्री

*प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर सदन में लाए गए संकल्प पर सीएम सुक्खू ने दिया जवाब*

*मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गई है। इसकी कारण सरकार को भी 100 दिनों के अंदर 6000 करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा।*

हिमाचल के हर व्यक्ति पर 92833 रुपए का कर्ज है। पिछली सरकार के आखिरी में खोले गए जिन 920 दफ्तरों को बंद किया गया है, वे दफ्तर आने वाले चार से चार महीने मे चालू होने थे। इन दफ्तरों के कर्मचारियों को देने के लिए एक महीने का वेतन नहीं था। तीन महीने के बाद कर्मचारियों को वेतन मिलना था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में विधायक राजेंद्र राणा, चंद्रशेखर, राजेश धर्माणी, सुरेश कुमार और केवल सिंह पठानिया ने नियम 130 के तहत प्रस्ताव के जवाब में यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए?
कर्मचारियों-पेंशनरों को 10 हजार करोड़ नए पे-स्केल की अदायगी करनी है। 920 करोड़ की राशि डीए की प्रदान करनी है। पूर्व सरकार के समय में जून 2022 में जीएसटी कंपनसेशन को केंद्र सरकार ने देना बंद कर दिया है। वहीं, राजस्व घाटा जो 9,377 करोड़ है। इसमें भी कटौती की जा रही है। वर्ष 2025-26 तक यह 3,287 करोड़ रह जाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले 4 वर्षो में देश की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाया जाएगा और आने वाले 10 सालों मं हिमालच प्रदेश को सुंदर राज्य बनाया जाएगा। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि पिछले 5 सालों में पूर्व सरकार के कारण भी हिमाचल प्रदेश की हालत खराब हुई है। इस चर्चा में विधायक चंद्रशेखर और विधायक रणधीर शर्मा ने भी भाग लिया।
राजस्थान देगा मुआवजा
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि हाल ही में राजस्थान सरकार से उन्होंने बात की है। राजस्थान सरकार हिमाचल के वाटर सेस अधिनियम को अध्ययन करेगी और हिमाचल को वाटर सेस का मुआवजा देगी। उन्होंने इस बारे में पंजाब सरकार से भी बात की है। पंजाब सरकार को बताया गया है कि पानी पर कोई सेस नहीं लगेगा, हाइडल प्रोजेक्टों पर सेस लगेगाा। हालांकि हरियाणा सरकार से अभी बात नहीं हो पाई हैं, लेकिन जल्द ही उनसे भी बातचीत की जाएगी।

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