सिरमौर का मुख्य आस्था का केन्द्र है माता भगायणी मंदिर,हरिपुरधार

… आज हम ऐसे सुन्दर एवं धार्मिक स्थल के बारे में चर्चा करेंगे जो अपने आस्था एवं शक्तिपीठ के लिए पूरे सिरमौर में ही नहीं बल्कि प्रदेश एवं देश में भी विख्यात हो चुका है वह शक्तिपीठ है माता भगायणी जिनका इतिहास बहुत ही रोचक और अविस्मरणीय है जिसके कारण माता का दरबार वर्षों से सजता रहता है दरअसल जो सिरमौर के शिरगुल महाराज है जिनकी शिव के रूप में पूजा ओर आस्था मानी जाती है कई सदियों पहले उन्हें दिल्ली के दरबार में बंदी बनाया गया और उन्हें किसी अशुद्ध चीजों से कलाहिन कर दिया गया जिससे की उनकी शक्ति क्षीण हो गयी ओर वह राजाओं के चंगुल से मुक्त नहीं हो पा रहे थे तथा इतिहास में दोहराया जाता है कि वहां पर झाड़ू लगाने वाली भागीन नाम की स्त्री को शिरगुल महाराज ने निवेदन किया कि अगर आप मुझे यहां से मुक्त करने में सहायता करेंगे तो आपको भी एक उच्च स्थान प्रदान किया जाएगा और आपको अपनी बहन का दर्जा दूंगा यह हमारा वादा है तभी वहां पर भागीन नाम की स्त्री ने कहा कि मैं एक छोटी सी झाड़ू लगाने वाली भागीन आपकी क्या सहायता कर सकती हूं तो शिरगुल महाराज कहते है कि मुझे आज मुस्लिम राजाओं द्वारा किन्हीं अशुद्ध चीजों से कला हिन कर दिया है जिसके कारण में यहां से अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता हूं अतः आप अगर मेरे सन्देश को जहार वीर गोगाजी जो वागड़ देश में रहते है को मेरा सन्देश पंहुचा सकते है तो वह अवश्य मुझे यहां से मुक्त करने आएंगे और वह मेरी इन वेडियो को तोड़कर मुझे आजाद करवाएंगे तभी भगानी नाम की स्त्री ने शिरगुल महाराज की बात मान कर वागड़ देश में जहारवीर गोगा जी से मिलकर पूरा वृतांत सुना देती है और जहारवीर गोगा जी तुरन्त दिल्ली के लिए प्रस्थान करते है और शिरगुल महाराज को अपने दांत के द्वारा बेड़ियों को काटकर कारागृह मुक्त कर देते है तभी से जहार वीर गोगाजी को हिंदु-मुस्लिम का देवता भी माना जाता है क्योंकि उन्होंने शिरगुल महाराज को अशुद्ध होने से बचा लिया और खुद चमड़े की बेड़ियां अपने दांतों से तोड़कर अपना फर्ज अदा कर दिया और जो वादा शिरगुल महाराज ने भगीनी से किया था तो उन्होंने वचन दिया कि जहा मेरा धार्मिक स्थल चुडधार है उसी के सामने आपको भी स्थापित किया जाएगा और आपको भी मेरे भक्त मेरी तरह ही पूजनीय और माता के रूप में पूजा एवं वंदन करते रहेंगे यह मेरा आपसे वचन है जो बाद में सत्य भी प्रतिक हुआ और उन्हें माता भगायणी के नाम से हरिपुरधार में स्थापित कर दिया गया जो सिरमौर में आज भी बड़े धार्मिक स्थल के रूप में उभरकर सामने आया है माता भगायणी को न्याय की देवी भी कहा जाता है जो भी वहां अपने सच्चे मन से अपनी पुकार सुनाता है और किसी पर किसी भी प्रकार का अत्याचार हुआ हो तो बताते है कि माता भगायणी उन्हें न्याय अवश्य किसी भी रूप में दिलाकर रहतीं है जो आज भी लोग कई उदाहरण पेश करते है आज माता भगायणी का मंदिर बहुत ही सुन्दर और आकर्षक का केन्द्र बिन्दु बन कर उभरा है जो पर्यटक और धार्मिक स्थल में हिमाचल में अपनी अनूठी पहचान रखता है आज माता के दरबार में ठहरने व भोजन की उचित व्यवस्था है और लंगर की सेवा निरन्तर जारी है आज जहां माता भगायणी का मंदिर स्थापित है तो उन्हीं के सामने चुडेशवर महाराज चूड़धार में विराजमान है जो एक शक्ति का प्रतीक माना जाता है और मां भगायणी का यह मन्दिर अपने आप में एक अनूठी पहचान रखता है और माता सभी भक्त जनों की समस्त मनोकामना यहां आकर पूरी भी करतीं है ऐसा माता के दरबार की आस्था एवं विश्वास है…………………………………………लेखक-हेमराज राणा पांवटा साहिब

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *