2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत

चैत्र नवरात्रि
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. इसके पहले दिन को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है. इन 9 दिनों में मां के नौ दिव्य रूपों की पूजा की जाती है. दुनिया भर में लोग इन दिनों के दौरान मां की विधिपूर्वक पूजा करते हैं. नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है.

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत
9 दिनों की है नवरात्रि
जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है जो 11 अप्रैल को खत्म हो रही है. ये नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तक चलती है. दशमी तिथि को पारण करने के बाद ये व्रत पूरा माना जाता है. नवरात्रि की तिथियां कई बार घटती-बढ़ती हैं. कोई तिथि 24 घंटे से अधिक तो कोई 12 घंटे से कम भी हो सकती है. आमतौर पर नवरात्रि की सामान्य सामान्य अवधि 9 दिनों की होती है लेकिन कभी-कभी तिथियां बढ़ने पर नवरात्रि 10 दिनों की हो जाती है और घटने या लोप होने पर ये 8 या 7 दिन की भी हो जाती है. दिनों के आधार पर नवरात्रि का अपना महत्व है.

इस बार चैत्र नवरात्रि 9 दिनों की
इस बार की 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक रहेगी. 11 अप्रैल को ये पारण के साथ समाप्त हो गी. ये 9 दिनों की नवरात्रि होगी. इन पूरे 9 दिनों में मां के 9 रूपों की आराधना की जाती है. शास्त्रों में 9 दिनों की नवरात्रि को बहुत शुभ माना गया है. इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
हर घर में नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. इसे घटस्थापना भी कहते हैं. इस बार नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त 2 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. कलश स्थापना प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन देवी शक्ति की पूजा के साथ की जाती है. ऐसी मान्यता है कि अगर ये पूजा शुभ मुहूर्त में न हो, तो मां अप्रसन्न हो जाती हैं. इसलिए कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए.

कलश स्थापना के जरूरी नियम
कलश स्थापना का सबसे उत्तम समय दिन का पहला एक तिहाई हिस्सा होता है. किसी दूसरी स्थिति में अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है. कलश स्थापना के लिए चौड़े मुँह वाला मिट्टी का बर्तन ले और उसमें सप्तधान्य बोएं. इसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग में कलावा बांधें. कलश के ऊपर आम या अशोक के पल्लव रखें. अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें. नारियल में भी कलावा लपेटें. घटस्थापना पूरा होने के बाद देवी का आह्वान करें.

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