पांवटा साहिब सिविल अस्पताल आपात कालीन सेवाओं में सिरिंज भी उपलब्ध नहीं…

15 अगस्त के दिन मरीज को अस्पताल में छुट्टी बताकर दवाईयां भी बाहर से लाने को कहां

कल 15 अगस्त के दिन मेरा गांव मेरा देश एक सहारा संस्था के सदस्य राजबन शेल्टर होम से पांवटा साहिब की तरफ आ रहे थे तो देखा कि लेबोरेट कंपनी के आसपास एक व्यक्ति घायल अवस्था में सड़क किनारे लेटा हुआ है तब मेरा गांव मेरा देश एक सहारा संस्था के संचालक ने अपनी गाड़ी को वापिस घुमाया तथा देखा कि एक बाइक सवार व्यक्ति सड़क पर बेसहारा गोवंश से टकराकर घायल हो गया था तथा गोवंश का सिंग लगने से वह व्यक्ति घायल हुआ तब वहां के लोगों ने बताया कि एंबुलेंस को बुलाने के लिए 108 में कॉल किया है परंतु अभी एंबुलेंस आने में समय लगेगा
जब हमने देखा कि व्यक्ति लहू लहान है ओर रक्त लगातार बह रहा है तो उसे अपनी गाड़ी में बिठा कर पांवटा सिविल अस्पताल लेकर गए

वहां पर इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने घायल व्यक्ति को देखा तथा उपचार के लिए कहा

मौके पर मेरा गांव मेरा देश एक सहारा संस्था की टीम यह देखकर हैरान हुई कि पांवटा सिविल अस्पताल में इमरजेंसी में आए व्यक्ति के लिए दो सीरिंज भी मंगवाए गए तथा अस्पताल में घायल मरीज के लिए कोई भी दवाई उपलब्ध नहीं थी तथा उसे एक पर्ची पर बाहर से दवाई लेने के लिए कहा गया

अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश में आपदा की स्थिति बनी हुई है तथा पांवटा साहिब अस्पताल में इमरजेंसी में आए घायलों के लिए दो सीरिंज तक उपलब्ध नहीं है तथा छुट्टी वाले दिन उन्हें दवाई तक भी अस्पताल से नहीं मिल पाती आखिर यह व्यवस्था कब सुधरेगी।

वहीं दूसरी ओर शराब की प्रत्येक बोतल पर दो रूपये गौ सैस लेकर भी हजारों की संख्या में सड़कों पर गौवंश लिफाफे खाकर और दुर्घटनाओं से मर रहे हैं, मरने के बाद भी उठाने और दबाने का कोई उचित प्रबंध नहीं है, प्रतिदिन गोवंश से सड़कों पर हादसे हो रहे हैं।

वहीं समाजसेवियो का कहना है कि प्रलय तो आयेगी ही जनाब गाय को मां कहने वाले देश में रहते हैं हम लोग गाय के कान से टैग काट देते हैं टैग न कटे तो कान काट देते हैं गाय को आवारा छोड़ देते हैं, पर लोगों को न कोई सजा न कोई जुर्माना बस ये आज तक की सभी सरकारों की इन्ही नाकामियों की सजा भुगत रहा है हिमाचल प्रदेश।

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