कल 15 जून से शुरू होगा आषाढ़ मास, जानें इस मास की विशेषता और महत्व..

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास चौथा मास होता है। इस माह में वर्षा होती है। इस मास का महत्व बहुत है। इस मास में भगवान विष्णु 4 माह के लिए चिरनिद्रा में जाकर विश्राम करते है। इस साल आषाढ़ 15 जून से व्रत, पूजा, साधना भक्ति का महीना आषाढ़ मास शुरू हो रहा है। यह समय बारिश का होता है इसलिए कहा जाता है कि इस दौरान साफ पानी ही पीना चाहिए। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास या चौमासा भी शुरू हो जाता है और देवी देवता विश्राम करने चले जाते हैं इसलिए इस अवधि में शादी ब्याह जैसे तमाम शुभ कार्य बंद कर दिये जाते हैं।
आषाढ़ कब से लगेगा?

हिन्दू महीनों में चैत्र से आरंभ होने वाले नववर्ष में यह चौथा महीना है। अंग्रेजी महीनों के क्रम में देखा जाए तो जून या जुलाई माह में यह आता है। जेठ और सावन के बीच में पड़ने वाले इस महीने से वर्षा ऋतु भी प्रारम्भ हो जाती है। खास बात यह है जेठ वैशाख मास की तपती गर्मी के बाद यह महीना वर्षा ऋतु के आगमन का सूचक है। आषाढ़ मास के धार्मिक कृत्यों के अन्तर्गत ‘एकभक्त व्रत’ भी किया जाता है। जिसमें पूरे मास यह व्रत चलता है। इस व्रत के तहत रखे जाने वाले उपवास में सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लिया जाता है और जितनी भूख हो उससे कम ही खाया जाता है। इस उपवास में भोजन की सीमा भी बताई गई है जो मुनि, साधु या पूर्ण संन्यास में हैं वो सिर्फ आठ ही ग्रास खा सकते हैं।
जो लोग वानप्रस्थी हैं वो 16 ग्रास का सेवन करते हैं और गृहस्थ लोग 32 ग्रास खा सकते हैं। इस प्रकार ये उपवास पूर्ण होता है। व्रत पूर्ण होने पर खड़ाऊँ, छाता, नमक तथा आँवलों का ब्राह्मण को दान किया जाता है। इस व्रत और दान से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
जो लोग पूरे मास का व्रत न ले पाएं वह यह कार्य आषाढ़ मास के प्रथम दिन अथवा सुविधानुसार किसी भी दिन कर सकते हैं।

भगवान विष्णु की होती है उपासना-:

आषाढ़ के महीने में सबसे ज्यादा फलदायी उपासना गुरु की होती है। इसके साथ ही देवी की उपासना भी शुभ फल देती है। आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु की उपासना से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। आषाढ़ के महीने में ही जल की उपासना भी की जाती है। मान्यता है कि जल की पूजा से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है।

ना करें इस फल का सेवन-:

मान्यता है कि आषाढ़ के महीने में संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसलिए इस पूरे महीने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बताया जाता है कि इस पूरे महीने बेल को बिलकुल भी नही खाना चाहिए। जहां तक हो सके तेल वाली चीजे कम खाएं। सौंफ, हींग और नींबू का प्रयोग लाभकारी होता है।

आषाढ़ मास में क्या करें क्या नहीं करें?

आषाढ़ मास में बरसात होती है। इसलिए इस माह में हानिकारक कीट पतंग, जीव पनपते हैं। जो नुकसादेय होते हैं। इस माह सात्विकता के साथ पूजा -पाठ करना चाहिए। साथ ही साफ-सफाई के साथ उबला पानी पीना चाहिए और संतुलित भोजन करना चाहिए। बाहर कम जाना चाहिए। बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए। भोजन पानी को खुला नहीं रखना चाहिए।

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