संकट में बिजली बोर्ड, देनदारियों का बढ़ा बोझ, 300 यूनिट फ्री बिजली का वादा निभाना होगा मुश्किल

300 यूनिट फ्री बिजली का वादा निभाना होगा मुश्किल, 32 ऑफिस बंद कर सरकार ने बचाए 150 करोड़*

*राज्य में बिजली बोर्ड गंभीर संकट में है। बीते दो महीनों से बमुश्किल वेतन और पेंशन का इंतजाम करने वाले बोर्ड के सामने देनदारियों का बोझ लगातार बढ़ रहा है और राज्य सरकार के लिए इसे संभालना बड़ी चुनौती बनने वाला है।*

खासतौर पर तब जब सरकार 10 गारंटी में 300 यूनिट मुफ्त बिजली को भी शामिल कर चुकी है। भले ही बिजली बोर्ड के 32 कार्यालयों पर ताले लगाकर राज्य सरकार ने शुरुआत में करीब 150 करोड़ रुपए की बचत की ओर कदम बढ़ाया हो। लेकिन भविष्य की देनदारियां अभी भी बरकरार हैं। मौजूदा समय में करीब 1758 करोड़ रुपए का घाटा बोर्ड को उठाना पड़ रहा है। पूर्व सरकार ने 125 यूनिट बिजली मुफ्त की थी। इसका व्यापक स्तर पर असर बोर्ड की कार्यप्रणाली में हुआ है। अब मौजूदा सरकार 300 यूनिट मुफ्त करती है, तो यह घाटा अरबों में जा सकता है। बिजली बोर्ड में लगातार सेवानिवृत्ति की वजह से कर्मचारियों की भी भारी कमी चल रही है। बोर्ड को मौजूदा समय करीब 8500 पद खाली हैं। इन पदों पर नई भर्तियां होनी हैं। फिलहाल, बिजली बोर्ड की दयनीय स्थिति के बावजूद सबसे बड़ा सवाल 300 यूनिट मुफ्त बिजली के वादे का है। कांग्रेस सरकार इस वादे को पूरा करने के लिए बिजली उत्पादन को बढ़ाने की तैयारी में है। जिन बिजली परियोजनाओं में उत्पादन अभी शुरू नहीं हो पाया है, उनमें जान फूंकने की कोशिश सरकार कर सकती है। इसका खुलासा कांग्रेस के विधायक हर्षबर्धन चौहान ने भी कर दिया है।
शिक्षा विभाग के 430 स्वास्थ्य के 147 ऑफिस बंद
राज्य सरकार ने रिव्यू के बाद जिन संस्थानों को बंद करने का फैसला किया है। उनमें बिजली बोर्ड समेत तमाम विभागों के कार्यालय शामिल हैं। इनमें शिक्षा विभाग में सर्वाधिक 430 संस्थान हैं, जबकि अन्य विभागों में स्वास्थ्य विभाग के 147, जलशक्ति विभाग के 34, लोक निर्माण विभाग के 16, आयुष विभाग के 43, पुलिस विभाग के 18, राजस्व विभाग के 117, वन विभाग का एक, आईटीआई के 19 व बिजली बोर्ड के 32 कार्यालय शामिल हैं।
आफिस बंद करने का स्वागत अब नई भर्तियां करे सरकार
बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा का कहना है कि बोर्ड में ज्यादातर काम ऑनलाइन हो रहा है। इस प्रयास के बावजूद कार्यालयों का खोला जाना अतिरिक्त बोझ था। अब कार्यालय बंद होने से करीब 150 करोड़ रुपए की बचत हो पाएगी। हालांकि कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए मौजूदा सरकार को जरूर ध्यान देना होगा। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ऑनलाइन सिस्टम के साथ ही 32 कार्यालय खोलने के पक्ष में नहीं था। जिन कर्मचारियों की भर्ती इन कार्यालयों में हुई थी उन्हें नौकरी से नहीं हटाया जाना चाहिए।

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