गुरु नानक मिशन पब्लिक स्कूल पाँवटा साहिब पर लगे कम नंबर लेने वाले 18 बच्चों को निकालने के आरोप

डिप्रेशन में चल रहे बच्चे के पिता ने विभिन्न विभागों को भेजी शिकायत

शिक्षा के अधिकार के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटएंगे शिकायतकर्ता

Amh पांवटा साहिब

पांवटा साहिब के एक बेहद नामी स्कूल में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) और मानवाधिकारों के उल्लंघन का बड़ा मामला सामने आया है। नामी स्कूल से 18 छात्रों को शिक्षा सत्र के बीच में सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि, यूनिट टेस्ट में उनके कम नंबर आए थे। यह आरोप स्कूल से निकल गए विद्यार्थियों में से एक विद्यार्थी के पिता ने विभिन्न विभागों को भेजी शिकायत में लगाए हैं। हालांकि स्कूल किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं हटाने की बात कह रहा है।

पांवटा साहिब के इस नामी स्कूल ने शिक्षा के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए है और यह स्कूल विद्यार्थियों को सस्ती और अच्छी शिक्षा देने के लिए पहचान रखता है। ऐसे में लोग हैरान है कि आखिर विद्या के इस मंदिर के कुछ विद्यार्थियों को शिक्षा के अधिकारों से वंचित क्यों रहना पड़ रहा है। दशकों से लाखों विद्यार्थियों का भविष्य संवारने वाले स्कूल से 18 विद्यार्थियों को निकाला जाना सबको हैरान कर रहा है। हैरानी की बात यह भी है कि स्कूल ने किसी भी विद्यार्थी को निकाले जाने के संबंध में लिखित रूप से अवगत नहीं करवाया है। हालांकि अधिकतर विद्यार्थियों के अभिभावक उनके बच्चों का साल खराब होने के डर से अपने बच्चों को अन्य स्कूलों में दाखिल करवा चुके हैं, मगर 11वीं के छात्र समर खान के पिता ने उसे अन्य स्कूलों में नहीं भेज रहे हैं। समर के पिता मोशिंग खान का आरोप है कि स्कूल के बर्ताव से उनका बेटा डिप्रेशन का शिकार हो गया है और घर में गुमसुम बैठा रहता है। पिता को डर सता रहा है कि उनका बेटा कहीं कोई गलत कदम ना उठा ले। लिहाजा मजबूर पिता विभिन्न विभागों और प्रशासन से गुहार लगाकर अपने बेटे को इस स्कूल में भेजना चाहते हैं। दूसरी ओर स्कूल प्रशासन ने समर खान को क्लास में बैठने से साफ मना कर दिया है।

समर के पिता ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, प्रदेश सरकार, प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, माइनॉरिटी सेल से लेकर जिला और स्थानीय प्रशासन तक शिकायत की है। विभिन्न विभागों को भेजे पत्र में मोशिंग खान ने आरोप लगाए हैं कि श्री गुरु नानक मिशन स्कूल ने उनके बेटे और 17 अन्य छात्रों को बिना ठोस कारण के स्कूल से निकाल दिया है। जो मौखिक आरोप लगाए जा रहे हैं वह निराधार है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यदि स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई और बच्चे को वापस स्कूल में नहीं लिया गया तो वह न्याय के लिए उच्च न्यायालय की शरण में जाएंगे।

बताते चलें कि स्कूल से बच्चों को निकाल जाने के बारे में हर बच्चे को लेकर अलग-अलग दलील दी जा रही है। समर खान पर सहपाठी को गाली देने के भी आरोप हैं। जबकि अन्यों को कम नम्बर या किस और वजह से स्कूल से निकाला गया है, यह समझ से परे है। स्कूल की प्रधानाचार्य गुरविन्दर कौर चावला ने बताया कि किसी बच्चे को स्कूल से नहीं निकाला गया है बल्कि कुछ बच्चों का अन्य स्कूलों में बाकायदा एडमिशन करवाया गया है।

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