चार लाख कर्मचारी-पेंशनरों को एरियर-डीए का इंतजार, एरियर-सात फीसदी महंगाई भत्ता अभी लंबित

*10000 करोड़ एरियर और सात फीसदी महंगाई भत्ता अभी लंबित*

*हिमाचल में चार लाख सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की नजर हिमाचल के बजट पर है। 17 मार्च को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू विधानसभा में यह बजट पेश करेंगे। मुख्यमंत्री इस बजट में वेतन आयोग के बकाया एरियर और महंगाई भत्ते के लिए क्या कहते हैं,*

यह महत्त्वपूर्ण होगा। दरअसल, कर्मचारियों और पेंशनरों को करीब 10000 करोड़ का एरियर अभी दिया जाना बाकी है। इसमें पेंशनरों का एरियर 5500 करोड़ और कर्मचारियों का एरियर 4500 करोड़ रुपए के आसपास है। पूर्व जयराम सरकार ने वेतन आयोग को लागू करने के बाद एरियर की सिर्फ एक किस्त 50000 रुपए की सीलिंग के साथ दी थी। इसके बाद से अब तक कोई भुगतान नहीं हुआ है।
सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एरियर को लेकर कर्मचारियों को इंतजार करने की बात कह चुके हैं। महंगाई भत्ते की बात करें तो सात फीसदी डीए लंबित है और इसकी देनदारी करीब 900 करोड़ बन रही है। महंगाई भत्ता हालांकि बजट का विषय नहीं होता, लेकिन यदि दिया नहीं हो, तो यह घोषणा भी बजट के माध्यम से की जा सकती है। कर्मचारियों के एरियर को लेकर यदि भुगतान न भी हुआ तो आगामी कार्य योजना के बारे में मुख्यमंत्री बजट में बता सकते हैं।
सरकारी कर्मचारियों को टाइम स्केल के बहाल होने का इंतजार है, लेकिन इस पर अभी पंजाब सरकार नहीं फैसला नहीं लिया है। कर्मचारी अब तर्क दे रहे हैं कि जब यूजीसी स्केल पंजाब में दिए बिना हिमाचल में दिया जा सकता है तो टाइम स्केल क्यों नहीं? इससे भी उलझा हुआ विषय वेतन आयोग की विसंगतियों का है। जितनी विसंगतियां पे कमीशन लागू होने के बाद आई थी, उनको अभी तक हल नहीं किया है। राइडर का लाभ कुछ कैटेगरी को देने के कारण यह विसंगतियां और बढ़ गई हैं। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद अभी तक वेतन आयोग विसंगतियों के मसले को छुआ तक नहीं है। हालांकि कांग्रेस ने अपने प्रतिज्ञा पत्र में इन विसंगतियों को दूर करने का वादा जरूर किया है। इसलिए पे कमिशन की विसंगतियों पर मुख्यमंत्री क्या कहते हैं, ये बजट ही बताएगा।
सैलरी-पेंशन पर प्रदेश का आधा बजट खर्च
पिछले बजट की बात करें तो कर्मचारियों की सैलरी पेंशनरों की पेंशन और अन्य अनुदान पर हिमाचल का आधे से ज्यादा बजट खर्च हो रहा है। वेतन आयोग का भुगतान करने के बाद इस देनदारी में कितना इजाफा हुआ है? यह भी नए बजट से ही पता चलेगा। इस खर्च में होने वाली वृद्धि का मतलब है कि राज्य सरकार के पास कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत व्यय के लिए पैसे कम होते जाएंगे। वैसे भी पिछले बजट में विकास कार्यों के लिए 52 हजार करोड़ में से सिर्फ 25 फीसदी बजट बचा था

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