गौमाता की सेवा करते करते घर भी हो रहा नीलाम समाज और सरकार से मदद की गुहार

वर्तमान समय में ऐसे बहुत कम उदाहरण देखने और सुनने को मिलते हैं और शाय़द ऐसा एकमात्र उदाहरण हिमाचल प्रदेश में पहला ही होगा। जो गौमाता की सेवा में दिन रात समर्पित हैं जिन्होंने ऐसा उदाहरण समाज और क्षेत्र के लिए प्रस्तुत किया है वह ख़ास व्यक्तित्व है गौमाता की सेवा करते करते घर भी हो रहा नीलाम* 
*समाज और सरकार से मदद की गुहारकोलर में अमर शहीद प्रीतम चंद के शहीदी दिवस का आयोजनजिला सिरमौर के पांवटा साहिब निवासी समाजसेवी और कर्मठ पत्रकार रहे सचिन ओबराय जिन्होंने गौमाता की सेवा और पीड़ा को साझा करने का प्रयास किया है,जिनका अनेकों वर्षो से आज भी यह क्रम जारी है, और हाल ही में जानकारी अनुसार गौसेवक सचिन ओबराय का अपना निजी घर तक भी नीलाम हो रहा है, जिन्होंने गौवंश के ठहराव के लिए भवन का निर्माण करने और चारे इत्यादि की व्यवस्था करने के लिए बैंक से ऋण लिया था जिसे चुकता ना करने के कारण अब बैंक ने इनके निजी घर की नीलामी की तारीख भी सुनिश्चित कर दी है जो कि 27 मार्च को बताईं जा रही है आज गौसेवक सचिन ओबराय के जीवन में मानों जैसे दुखों का पहाड़ गिर गया हो, वह भी अपने लिए नहीं बल्कि उन तमाम गौवंश के लिए जिनको हम आपने अपना निजी स्वार्थ पूरा करने के उपरान्त निर्दयी भाव से सड़कों पर बेसहारा छोड़ने के लिए विवश कर दिया है,उन्ही गौमाता कि सेवा करते करते और उनकी पीड़ा को समझने के लिए एक गौसेवक ने अपने जीवन को मुसीबत में डाल दिया है और अपने पिताजी,पत्नी और अपने आप दिन रात गौवंश की सेवा में तत्पर है, परंतु इतने मुश्किल में भी सचिन ओबराय की हिम्मत में और सेवा भाव में कोई कमी देखने को नहीं मिलती है,और इनका मानना है कि ईश्वर ने ही हमे इस पुनीत कार्य में लगाया है और इस दुःख से भी ईश्वर जरूर हमको मुक्त करेगा और इन्होंने समाज से भी निवेदन किया है कि हम जैसे अनेकों गौसेवको के सहयोग में समाज को भी आगे आना चाहिए ताकि गौवंश की सेवा एवं दुःख को साझा किया जा सके,आज हम सभी को भी अपनी इच्छानुसार और खासकर सरकार से निवेदन रहेगा कि इनके इस गौवंश के निमित्त ऋण को माफ करने या फिर काफी हद तक कम करने की पैरवी करे ताकि गौवंश सचिन ओबराय का घर नीलाम होने से बच पाए, ऐसा निवेदन और आग्रह करते हैं।जानकारी अनुसार सचिन ओबराय बचपन से ही समाज सेवा, ईमानदारी और सेवा भाव के लिए जाने जाते हैं, जिनके दो बच्चे आज भी अपनी दादी के सान्निध्य में रह रहे है और सचिन ओबराय उनकी पत्नी और इनके पिताजी दिन रात बेहराहाल मे गौसेवा मे तत्पर हैं जिन्होंने अपने बच्चों तक को भी गौसेवा के कारण अपने प्यार,सानिध्य और मां की ममता से दूर रख रहे हैं ऐसा त्याग शाय़द ही हिमाचल में कहीं देखने को मिलता हो । सचिन ओबराय जिला सिरमौर में एक ऐसा ख़ास व्यक्तित्व है जिन्होंने गौमाता के लिए अनेकों बार आन्दोलन भी किए हैं जो गौमाता सड़कों पर बेसहारा होकर दर दर की ठोकरें रही है, और आए दिन जिन गौवंश की वजह से सड़क हादसो में भी इजाफा हो रहा है, और हम आप गौमाता के दूध ,गोबर इत्यादि का भरपूर फायदा उठाने के उपरांत निर्दय होकर बेसहारा छोड़ देते हैं,सबसे बड़ी बात यहां देखने और समझने की यह भी है कि इन्हीं गौमाता की सेवा की देखरेख और मन में पीड़ा की वजह से ,जिन सचिन ओबराय ने पांवटा साहिब के बेहरहाल में गौशाला का निर्माण करवाया है जहां पर गौमाता कि सेवा कर रहे हैं तथा सचिन ओबराय की स्कूली शिक्षा गुरु नानक मिशन पब्लिक स्कूल पांवटा साहिब से हुई तत्पश्चात हिमालयन इंस्टिट्यूट कालाम्ब से कम्प्यूटर साईस में डिप्लोमा किया, परन्तु गौमाता कि दुर्दशा देखकर 2019 में गौसेवा की शुरूआत की जिस गौवंश की संख्या शुरुआत में मात्र तीन थी अब वह संख्या 65 हो चुकी है।और विभिन्न क्षेत्रों से समाजसेवी और गौसेवक समय समय दर्शनों के लिए भी आते है और इनके इस पुनीत कार्य की सराहना भी करते हैं, जो समाजसेवी सचिन ओबराय अभी तक 29 बार रक्तदान भी कर चुके है,जिसे सबसे बड़ा महादान कहा जाता है। इस प्रकार सचिन ओबराय समाज हित में अनेकों पुनीत कार्य समय समय पर कर रहे हैं,इसी गौशाला और गौमाता कि व्यवस्था के लिए गौसेवक सचिन ओबराय ने अपने घर को भी गिरवी रख दिया है जिन्हें वर्तमान में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। परन्तु, सचिन ओबराय की हिम्मत, सेवा भाव और इच्छाशक्ति अभी भी बरकरार है, और गौमाता कि सेवा करने के लिए दिन रात समर्पित होकर समाज और क्षेत्र में अपनी अनूठा उदाहरण पेश कर रहे हैं, धन्य है ऐसी माता जिन्होंने ऐसे समाजसेवी को जन्म दिया।आज के परिप्रेक्ष्य में ऐसे समाजसेवी बहुत कम देखने को मिलते हैं जिन्होंने गौमाता कि सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।इस प्रकार सचिन ओबराय ने उन लोगों के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा और सन्देश दिया है जो हिन्दू धर्म में गाय को गौमाता कह कर अपने जिम्मेदारियो से विमुख हो रहे हैं,उन तमाम लोगों को इस बात को सुनिश्चित करने को चिन्तन करने की परम् आवश्यकता है कि हम हिन्दू धर्म में गौमाता कि सेवा,दर दर भटकने वाली गौमाता की व्यवस्था करने और सरकार और प्रशासन तक मिलजुलकर गौमाता कि इस दुर्दशा को लेकर कितने संवेदनशील हैं,जिस गौमाता को हम सभी गौमाता कहते हैं क्या हम सभी निजी स्वार्थ और निजी जीवन से बहार निकलकर ऐसे गंभीर विषय को लेकर अपनी कितनी भूमिका अदा कर रहे।आज हम सभी का भी नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम सभी को भी सचिन ओबराय जैसे हर गौसेवक को किसी ना किसी रूप से सहयोग करने और इनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, जिन्होंने अपने घर तक को गौमाता कि सेवा के कारण गिरवी रख दिया हो, तो वहीं सचिन ओबराय ने पांवटा साहिब में अनेकों बार तो वहीं जिलाधीश महोदय सिरमौर ,माननीय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश,के समक्ष भी गौमाता के उत्थान, इनकी सुरक्षा,गौ सदन की मांग, तो वहीं गौमाता कि खाद्य सामग्री,चारे के लिए सरकार से आर्थिक सहायता की भी अनेकों बार गुहार लगाते रहते हैं जैसे कि प्रदेश सरकार ने आयोग का भी गठन किया है जिसमें जनता ने इनके इस पुनीत कार्य के लिए भरपूर सहयोग भी किया, परन्तु सरकार से अभी भी सहयोग की अपेक्षा बनी हुई है,जिसको प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को भी समझने और चिन्तन करने की परम् आवश्यकता है सचिन ओबराय को समाजसेवा और गौमात की सेवा के लिए समय-समय पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है जैसे 2022 मे पांवटा प्रशासन द्वारा गौसेवक पुरस्कार,सनातन धर्म सभा लखनऊ द्वारा सनातन शिरोमणि अप्रैल 2022 पुरस्कार, शंखनाद मीडिया द्वारा सिरमौर गौरव पुरस्कार 2023 ,दून प्रेस क्लब द्वारा अनमौल गौसेवक 2022 पुरस्कार, यंगवार्ता मीडिया ग्रुप द्वारा डॉ यशवन्त सिंह परमार राष्ट्र निर्माण पुरस्कार 2023_24 पुरस्कार।
*स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर*