हाटी समुदाय को जनजातिय दर्जा देने अवज में उच्च न्यायालय ने केन्द्र व प्रदेश सरकार को किया नोटिस जारी

जनपद सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातिय दर्जा देने का मामला अदालत में पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जनपद सिरमौर के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के मामले में केंद्र व हिमाचल सरकार को नोटिस जारी किया है।

हाटी समुदाय को जनजातिय दर्जा देने अवज में उच्च न्यायालय ने केन्द्र व प्रदेश सरकार को किया नोटिस जारी

हाटी को लेकर एथनोग्राफी की गलत रिपोर्ट की गई थी पेश
10 मंत्रालयों समेत उपायुक्त  जिला सिरमौर को भेजा नोटिस 

सिरमौर/शिमला

जनपद सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातिय दर्जा देने का मामला अदालत में पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जनपद सिरमौर के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के मामले में केंद्र व हिमाचल सरकार को नोटिस जारी किया है। 

मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने चार सप्ताह में पूरी जानकारी तलब की है। सिरमौर जनपद के गिरीपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की सिफारिश के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। गिरीपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति ने इस बाबत हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है। जिसके चलते उच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है।

गिरीपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति के अध्यक्ष अधिवक्ता अनिल मंगेट ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि समिति की तरफ से दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हैं। इनमें गृह मंत्रालय, सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय, जनजातीय मंत्रालय, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया, अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग सहित केंद्र के अन्य 10 विभागों और सिरमौर के उपायुक्त को नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय को लेकर इन विभागों ने गलत तथ्य पेश किए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है।

उन्होंने कहा कि गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति लगभग डेढ़ लाख लोगों ने गठित की है। समिति का मानना है कि हाटी को लेकर एथनोग्राफी की रिपोर्ट गलत है और गलत तथ्य पेश किए गए हैं। कहा कि गिरीपार के 154 पंचायतों के क्षेत्र को तथाकथित हाटी बनाने की कोशिश की गई है, जो गलत है। उन्होंने दावा किया कि सिरमौर जिले के गिरीपार में हाटी नाम का कोई समुदाय नहीं है। जिसके बाबत गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति ने इस मामले को उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। 

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