पोंटा साहिब सिविल अस्पताल बना सुर्खियों का केंद्र

पांवटा सिविल अस्पताल में शर्मनाक हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस बार सर्वाइकल के दर्द से तड़पती महिला कांस्टेबल इलाज के लिए तड़पती रही लेकिन हड्डी विशेषज्ञ चंद्र मल्होत्रा द्वारा इलाज नहीं किया गया ।
मामला पांवटा साहिब का है।
वैसे तो सिविल अस्पताल अक्सर सुर्खियों में बना रहता है । इस बार डॉक्टर चंद्र मल्होत्रा की लापरवाही का शिकार दर्द से तड़पती एक महिला कॉन्स्टेबल हुई है बताया जा रहा है कि सर्वाइकल दर्द के कारण महिला ठीक से चल भी नहीं पा रही थी ऐसे में हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा आपातकालीन में उन्हें देखने से मना कर दिया गया ।
मामला वीरवार का है जब महिला कॉन्स्टेबल सर्वाइकल के दर्द से बेहाल हो गई तो वह किसी तरह सुबह साढ़े आठ बजे के करीब अस्पताल के अपातकालीन वार्ड में पहुंची। संयोगवश आपातकालीन में नाइट ड्यूटी पर हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर ही मौजूद थे, जब महिला ने सर्वाइकल के दर्द की परेशानी बताई तो उन्होंने देखने तक से मना कर दिया और अगले दिन ओपीडी में आने के लिए कहा। क्योंकि नाइट ड्यूटी के कारण उस दिन उनकी छुट्टी थी।
महिला कांस्टेबल ने पेन किलर खा कर किसी तरहां दिन गुजारा।
अगले दिन सुबह महिला अपने पति जो कि खुद भी हिमाचल पुलिस में अधिकारी हैं विशेष तौर पर लाहौल स्पीती से आए और अपनी पत्नी के साथ अस्पताल पहुंचे पर्ची डॉक्टर के कमरे में रख दी गई। महिला को सर्वाइकल का बेहद तेज दर्द था जिसके कारण उसे स्ट्रेचर पर लाया गया इतनी आपातकाल स्थिति में भी डॉक्टर चंद्र मल्होत्रा ने 2:30 बजे तक महिला को नहीं देखा जिसके बाद उनके पति ने डाक्टर से रिक्वेस्ट की कि पहले दर्द से तड़पती उनकी पत्नी को एक बार देख लीजिए लेकिन डॉक्टर ने बेहद रूड होकर बात करते हुए कहा शाम 7:00 बजे तक नंबर नहीं आएगा अगर रुक सकते हो तो रुक जाओ।
इस दौरान सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अमिताभ जैन ने भी हड्डी विशेषज्ञ चंद्र मल्होत्रा से मरीज को देखने की रिक्वेस्ट की थी लेकिन उन्होंने उनकी भी नहीं सुनी।
तेज दर्द से कराहती महिला पर डाक्टर को कोई दया नहीं आई और एक बार फिर दर्द से कराहती महिला अपने पति के साथ वापस अपने घर लौट आई।
बता दें कि महिला 3 दिनों तक केवल पेन किलर खा कर काम चलाती रही लेकिन 3 दिनों तक हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर से वह अपना इलाज नहीं करवा पाई।
क्या है नीयम…
सरकारी अस्पतालों में नियम है कि विशेषज्ञ डॉक्टर को आपातकालीन स्थिति में कभी भी अस्पताल बुलाया जा सकता है आपातकालीन मरीज को डॉक्टर सबसे पहले अटेंड करते हैं बाद में ओपीडी के मरीजों को देखा जाता है लेकिन यहां हड्डी विशेषज्ञ द्वारा न केवल लापरवाही बरती गई बल्कि कानून और नियमों का भी उल्लंघन किया गया है।
पहले से विवादित…
बता दें कि डाक्टर चंद्र मल्होत्रा पर इससे पहले भी बदसलूकी के आरोप लग चुके हैं। आरोप है कि इससे पहले यह नालागढ़ और केलांग में अपने दुर्व्यवहार के कारण सस्पेंड भी हुए हैं!
सिविल अस्पताल में गरीब और लाचार लोग इसलिए आते हैं कि उनका इलाज सस्ते और मुफ्त में होता है लेकिन यहां दवाओं और दूसरे सामान पर मोटी कमीशन खाई जा रही है जिसके कारण सरकारी अस्पताल भी महंगी दुकानों की तरह नजर आ रहे हैं।
फिलहाल पुलिस अधिकारी और महिला कॉन्स्टेबल दंपत्ति ने प्राइवेट अस्पताल का रूख किया है और अब वह पांवटा साहिब के प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं।
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर चौबिसों घंटे • आम लोगों की सेवा में तैनात महिला पुलिस कर्मी के साथ ऐसा व्यवहार किया जा सकता है तो आम आदमी कितनी जिल्लत झेलता होगा।

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