केंद्र की भाजपा सरकार के द्वारा सिरमौर के हाटियों को राज्यसभा से शेड्यूल ट्राइब का बिल पास करवाए जाने को लेकर प्रदेश का गुर्जर समाज बुरी तरह से भड़क गया है। अपने संवैधानिक अधिकारों के हनन की बात कहते हुए गुर्जर समाज ने अपने आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की भी चेतावनी जारी कर दी है। शुक्रवार को सुबह नाहन में रखी प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए गुर्जर कल्याण परिषद सिरमौर के उपाध्यक्ष सुभाष चौधरी ने कहा कि आंदोलन को लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी से सहयोग मांगा गया है।
सुभाष चौधरी ने कहा कि उनके साथ हुए इस अन्याय को लेकर पूरे देश का गुर्जर समुदाय अब एकजुटता के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है। सुभाष चौधरी ने कहा कि जो क्षेत्र पहले से ही संपन्न है और उस क्षेत्र की साक्षरता दर भी 80 फ़ीसदी है। सुभाष चौधरी ने कहा कि वही प्रदेश के गुर्जर समाज की साक्षरता दर केवल 45 से 50 फ़ीसदी ही है। चौधरी ने कहा कि इस क्षेत्र के अधिकतर बच्चे बेहतरीन से बेहतरीन शिक्षा ग्रहण करते हैं जबकि पहले से ही उपेक्षित गुर्जर वर्ग के छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ पशुपालन का काम भी करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में क्षेत्र के स्वर्णो को मिले शेड्यूल ट्राइब आरक्षण के बाद यह वर्ग और अधिक पिछड़ना शुरू हो जाएगा। वही सचिव हेमराज ने कहा कि हाटी कोई जाति नहीं है यही नहीं इसे राज्यसभा में भेजे जाने से पहले आरजीआई की पहले की तमाम सभी आपत्तियों को नजरअंदाज भी किया गया है। उन्होंने कहा कि यह बिल पहले भी तीन बार रिजेक्ट किया जा चुका है। वही गुर्जर कल्याण परिषद के सदस्य नवीन कुमार ने कहा कि प्रदेश की पूर्व में रही भाजपा सरकार ने केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए पहले की आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए बिल का ड्राफ्ट तरोड़ मरोड़ कर बनाया गया था।
गुर्जर कल्याण परिषद ने कहा कि लंबे अरसे से प्रदेश का गुर्जर समाज भाजपा को समर्थन देता आया है। मगर अब केवल और केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए केंद्र सरकार ने इसे हमारे हक मारकर राज्यसभा में पास करवाया है। उन्होंने कहा कि गिरि पार क्षेत्र के स्वर्ण लोगों को सरकार ने सीधे-सीधे बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए उन्हें आरक्षण लाभ दे दिया है। सदस्य गुर्जर कल्याण परिषद सोमनाथ ने वार्ता के दौरान कहा कि अपने साथ हुए इस अन्याय को लेकर जहां राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन खड़ा किया जाएगा वही गुर्जर समाज अब देश की सर्वोच्च अदालत के सामने अपनी फरियाद रखेगा।
उन्होंने कहा कि एक सोचे समझे षड्यंत्र के तहत प्रदेश में रही पूर्व की भाजपा सरकार ने इस क्षेत्र के दलित वर्ग को भी नहीं बख्शा। सोमनाथ ने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों को शेड्यूल ट्राइब का दर्जा दिए जाने से पहले इनका आर्थिक आधार पर कोई सर्वे नहीं किया गया। उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब जौनसार बाबर को शेड्यूल ट्राइब का दर्जा दिया गया था तो उसी समय इन्हें भी शेड्यूल ट्राइब का दर्जा दिया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि इन्हें अब उस दौर में विशेष आरक्षण दिया जा रहा है जब मोदी सरकार यह कहती है कि हमने प्रदेश का अभूतपूर्व विकास करवाया है। उन्होंने तो यहां तक भी कहा कि वे क्षेत्र के लोगों के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं है और ना ही उन्हें शेड्यूल ट्राइब का दर्जा मिला है इसको लेकर कोई नाराजगी है बल्कि सरकार चाहे तो इसे ए और बी श्रेणी में डाल कर हमें इनसे अलग शेड्यूल ट्राइब का कोटा जारी करें।
गुजरात कल्याण परिषद ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि गुर्जर समाज के साथ हो रहे इस अन्याय को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी हम से आंखें चुरा रही है। उन्होंने कहा कि अब पूरा गुर्जर समाज संगठित है और हर मोर्चे पर संघर्ष के लिए उतरने के लिए तैयार हो चुका है। सदस्य राजकुमार ने तो यहां तक भी कहा कि जब केंद्र सरकार किसान बिल को वापस ले सकती है तो एक विशेष वर्ग के साथ हो रहे अन्याय को लेकर इस पर पुनर्विचार क्यों नहीं कर सकती।