हिमाचल में अब DSP व SHO नहीं दे पाएंगे मीडिया में बयान, DGP ने लगाई रोक.

0
26

हिमाचल प्रदेश में पुलिस अधिकारियों के मीडिया ब्रीफिंग को लेकर पुलिस मुख्यालय ने सख्त निर्देश जारी किए हैं. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की ओर से जारी एक सर्कुलर में साफ किया गया है कि अब सब डिविजनल या थाना स्तर के अधिकारी मीडिया से अपने स्तर पर कोई बयान नहीं देंगे. यह आदेश कानून-व्यवस्था, अपराध, जांच और पुलिस से जुड़े सभी आधिकारिक मामलों पर लागू होगा.

डीजीपी कार्यालय की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया कि हाल के समय में यह देखा गया है कि कई बार सब-डिविजनल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) और थाना प्रभारी (एसएचओ) मीडिया से बातचीत कर रहे हैं. इनमें नई पोस्टिंग ज्वाइन करने के बाद बयान देना, अपराध या जांच से जुड़े मामलों पर प्रतिक्रिया देना और पुलिसिंग से जुड़े विषयों पर टिप्पणी करना शामिल है. इसे नियमों के विपरीत मानते हुए अब स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.

आदेश के अनुसार मीडिया से औपचारिक रूप से बातचीत करने का अधिकार केवल जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) और रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) को होगा. वे भी अपराध, कानून-व्यवस्था, जांच, पुलिस नीतियों और अन्य आधिकारिक मुद्दों पर तभी बयान दे सकेंगे, जब पुलिस मुख्यालय से आवश्यक अनुमति ली गई हो.

सर्कुलर में यह भी साफ किया गया है कि एसडीपीओ, एसएचओ और अन्य पुलिस अधिकारी अपने आधिकारिक पद पर रहते हुए मीडिया को कोई बयान नहीं देंगे. वे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या सोशल मीडिया के लिए कोई टिप्पणी, प्रतिक्रिया या जानकारी साझा नहीं कर सकते. इसके अलावा किसी भी तरह का इंटरव्यू या ब्रीफिंग भी तभी दी जा सकेगी, जब इसके लिए सक्षम अधिकारी की लिखित अनुमति हो.

डीजीपी ने स्पष्ट किया है कि यह निर्देश केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के तहत दिए गए हैं, जिनमें बिना सरकार की पूर्व अनुमति मीडिया से बात करने पर रोक है. इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम, 2007 और पंजाब पुलिस नियम, 1934 में भी पुलिस अधिकारियों के लिए अनुशासन, आदेशों के पालन और निर्धारित अधिकारों के दायरे में काम करने की बाध्यता तय की गई है.

सर्कुलर में सभी वरिष्ठ और पर्यवेक्षण अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को इन आदेशों का सख्ती से पालन कराएं. पुलिस मुख्यालय ने चेतावनी दी है कि यदि कोई अधिकारी इन निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ सेवा नियमों और पुलिस कानूनों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.