बीबीएन में चंडीगढ़ और पंचकूला के साथ लगते क्षेत्रों के स्कूलों के अध्यापकों ने स्थानीय लोगों से किराये के मकान दिखा रखे हैं लेकिन स्वयं वह तीन बजे छुट्टी होते वह पंचकूला और चंडीगढ़ चले जाते हैं। पहले सरकार ने शिक्षकों के लिए आठ किलोमीटर के दायरा रखा हुआ था लेकिन अब 30 किमी कर दिया है लेकिन चंडीगढ़ बीबीएन से तीस किमी से भी अधिक है। यही नहीं अधिकांश स्कूलों के प्रधानाचार्य जब स्वयं इस नियम को तोड़ रहे हैं तो अध्यापक भी इस शर्त का पालन क्यों करें।
बीबीएन में दो दर्जन से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां पर अध्यापक चंडीगढ़ से आते हैं। इन अध्यापकों ने चंडीगढ़ में अपने मकान बनाए हैं। शिक्षा विभाग ने निरीक्षण के लिए अलग से उपनिदेशक रखा हुआ है जो समय-समय पर स्कूलों की जांच करते हैं लेकिन हैरानी की बात है कि बाहर से आने वाले यह अध्यापक कभी कभार जाम व अन्य कारणों के चलते देरी से भी पहुंचते हैं लेकिन आज तक किसी भी अध्यापक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब स्कूलों में बायोमीट्रिक मशीन लगने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
उन्हें जानकारी है कि अध्यापक चंडीगढ़ से आते हैं लेकिन इन अध्यापकों ने स्थानीय लोगों से कमरे किराये पर दिखाए हुए हैं जिससे वह जानते हुए भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे। बायोमीट्रिक मशीन की रिपोर्ट सीधी सचिवालय में जाती है। इसलिए अगर कोई देरी से आता है तो उन्हें इसकी सूचना नहीं है