पांवटा साहिब में लगातार मामूली समस्याओं पर भी गरीब मरीजों को हजारों रुपए खर्च करने पर मजबूर किया जा रहा है कथित आरोग्य MRI की और मरीजों को भेजा जा रहा है जिसके कारण अधिकतर गरीब मरीजों पर बेवजह आर्थिक बोझ पड़ रहा है। हमें कई मरीजों की पर्चियां और MRI रिपोर्ट हाथ लगी हैं जिसमें मरीजों की नाॅरमल रिपोर्ट आई हैं और उन्हें हजारों रुपए खर्च करने पड़े हैं।
ऐसी ही एक रिपोर्ट सामने आई है मरीज ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मैं आंखों के इलाज के लिए पांवटा सिविल अस्पताल आई थी जिसके चलते उनको 9000 रूपए का m.r.i. करवाना पड़ा है m.r.i. में सभी रिपोर्टर नॉर्मल आई हैं उन्होंने बताया कि वह बेहद गरीब तबके के परिवार से संबंध रखते हैं उधार लेकर उन्होंने m.r.i. करवाया है।

वहीं दूसरी ओर आरोप लगे हैं कि हड्डी विशेषज्ञ द्वारा Mri की तरफ मरीजों को भेजा जा रहा है जिन घायल मरीजों का केवल एक्स-रे करवाने से काम चल सकता है। उन्हें भी m.r.i. के लिए दौड़ाया जा रहा है । बता दें कि फ्रैक्चर या अन्य इस प्रकार की चोट के लिए एक्सरे से भी काम चल सकता है।

दूसरी और दवाएं भी बेहद महंगी लिखी जा रही है लगभग सारी दवाएं बाजार से लिखी जा रही है सरकारी अस्पताल में ये दवाएं उपलब्ध ही नहीं है जो कि विशेषज्ञों द्वारा लिखी जा रही हैं।

हालांकि एक फायदा जरूर मरीजों को जरूर हुआ है जो ऑपरेशन यमुनानगर, देहरादून में मरीजों को करवाने पड़ते थे वह अब पांवटा सिविल अस्पताल में हो रहे हैं। हालांकि खर्चों में निजी अस्पताल से कुछ ही पैसों का फ़र्क है। इससे पहले भी हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर्स पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि अधिकतर डॉक्टर गरीब तबके के लोगों को ही महंगी दवाएं और m.r.i. जैसी महंगी पर्चियां लिख रहे हैं

वही इस बारे में सिविल अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर अमिताभ जैन के संज्ञान में जब इस तरह के मामले लाए गए तो उन्होंने कहा कईं बार mri डॉक्टर की रिक्वायरमेंट भी हो सकती है लेकिन फिर भी वह इस पूरे मामले पर जांच करेंगे और बेवजह लिखे जा रहे एमआरआई को लेकर डॉक्टर्स को निर्देश भी दिए जाएंगे मामला संज्ञान में आया है तो हम इस पूरे मामले पर कार्रवाई जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में बेहद गरीब तबके के मरीज आते हैं।

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