31 दिन के बाद खुले चयन आयोग के दरवाजे, एसआईटी जांच में घोटालों की खुलेंगी और फाइलें

31 दिन के बाद भंग आयोग के गेट और बहुमंजिला भवन के विभिन्न दरवाजों के ताले खुले। दरअसल 21 फरवरी 2023 को प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग करने की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद रात को ही इस आयोग को सील कर दिया था।*

*भंग हो चुके हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कितने लोगों को गैर कानूनी तरीके से नौकरियां बांटीं और कितने बेरोजगार अभ्यर्थियों की मेहनत पर पानी फेरा, इसका पता कार्यालय में पड़ी विभिन्न भर्तियों की फाइलों से चलेगा।*

31 दिन के बाद भंग आयोग के गेट और बहुमंजिला भवन के विभिन्न दरवाजों के ताले खुले। दरअसल 21 फरवरी 2023 को प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग करने की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद रात को ही इस आयोग को सील कर दिया था।

इन भर्तियों में हो चुकी धांधली की पुष्टि
जेओए आईटी, कला अध्यापक, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, कंप्यूटर ऑपरेटर, जूनियर ऑडिटर समेत आधा दर्जन विभिन्न पोस्ट कोड की भर्तियों में धांधली की पुष्टि होने के बाद विजिलेंस थाना हमीरपुर में पांच अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुई हैं। इन मामलों की जांच को आगे बढ़ाने के लिए एसआईटी को जरूरी रिकॉर्ड की आवश्यकता थी। एसआईटी ने प्रदेश सरकार के समक्ष रिकॉर्ड उपलब्ध करवाने बारे मामला उठाया था। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद गुरुवार को भंग चयन आयोग के ताले खोले गए।

*सुबह 10:30 बजे आयोग कार्यालय में प्रवेश किया*

ओएसडी अनुपम कुमार ने उपायुक्त हमीरपुर की मंजूरी के बाद विशेष दंडाधिकारी सुभाष चंद और पुलिस सुरक्षा के साथ सुबह 10:30 बजे आयोग कार्यालय में प्रवेश किया। उनके साथ भंग आयोग के पूर्व में अवर सचिव रहे सुरेंद्र कुमार, अनुभाग अधिकारी इकबाल सिंह, कार्यालय अधीक्षक जीवन वर्मा, 10 लिपकीय स्टाफ कर्मचारी और छह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी कार्यालय में प्रवेश की अनुमति मिली। देर शाम तक यहां जरूरी रिकॉर्ड की फाइलें तैयार की गईं। कार्यालय के भीतर की हर हरकत यहां स्थापित सीसीटीवी और यहां तैनात वीडियोग्राफर के कैमरे में कैद हुई, ताकि रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की कोई आशंका न रहे।

*बाहर एक दर्जन पुलिस जवान तैनात रहे*

वहीं, चयन आयोग के कार्यालय के बाहर एसएचओ हमीरपुर संजीव गौतम समेत करीब एक दर्जन पुलिस जवान तैनात रहे। उधर, भंग प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के ओएसडी अनुपम कुमार ने कहा कि वीरवार को आयोग के कार्यालय में प्रवेश किया है। एसआईटी की ओर से मांगा गया रिकॉर्ड उपलब्ध करवाया जाएगा।

*चपरासी की अग्रिम जमानत पर सुनवाई आज*

भंग चयन आयोग के चपरासी किशोरी लाल ने प्रदेश उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी है। इस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है। भंग आयोग के दो चपरासियों किशोरी लाल और मदन लाल तथा दो अभ्यर्थियों के खिलाफ पोस्ट कोड 939 जेओए आईटी पेपर मामले में एफआईआर दर्ज है। वहीं, निलंबित वरिष्ठ सहायक उमा आजाद, उसके बेटे निखिल, नितिन और दलाल संजीव की आवाज के सैंपल पर हमीरपुर न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई होनी है।

*आयोग के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला*

भंग हो चुके प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के 62 कर्मचारियों को मार्च की 23 तारीख बीत जाने के बाद भी फरवरी का वेतन नहीं मिल पाया है। इससे पूर्व जनवरी का वेतन भी देरी से मिला था। समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

*सभी कर्मचारियों को कलंकित किया जाना न्यायोचित नहीं*

भंग हो चुके प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के कर्मचारी संघ ने प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा कर्मचारी चयन आयोग में कार्यरत कर्मचारियों के प्रति हीन भावना से की गई टिप्पणी पर रोष प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि चयन आयोग हमीरपुर के निर्दोष कर्मचारी इस टिप्पणी से हताश हैं, क्योंकि अगर किसी अन्य सरकारी विभाग का कर्मचारी या अधिकारी ही सरकारी निर्दोष कर्मचारियों के बारे इस तरह की टिप्पणी करे तो व्यवहार उचित नहीं है। जबकि संघकई दिनों से सरकार से लगातार मांग करता आ रहा है कि दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।

कर्मचारी संघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष सविता गुलेरिया और महासचिव जोगिंद्र सिंह ने कहा कि आयोग में कार्यरत सभी कर्मचारी भ्रष्ट नहीं हैं । उन्होंने दिन रात मेहनत कर एक वर्ष में 167 छंटनी परीक्षाएं आयोजित करवाने के साथ-साथ विभिन्न मूल्यांकन प्रक्रियाओं और अंतिम परिणाम घोषित करवाने में अहम भूमिका अदा की है। अत: निर्दोष कर्मचारियों की सत्यनिष्ठा पर प्रश्न चिह्न लगाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि गोपनीय शाखा के कर्मचारियों की संलिप्तता के कारण अन्य सभी कर्मचारियों को कलंकित किया जाना न्यायोचित नहीं है।

संघ ने यह भी अवगत करवाया कि आयोग में हो रही अनियमितताओं के बारे में कई बार आयोग में कार्यरत कर्मचारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को मौखिक रूप से इस बारे अवगत करवाया, लेकिन इन सभी बातों को बिना किसी जांच के हर बार नजर अंदाज किया गया। इसका खमियाजा निर्दोष व कर्मठ कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है और उन्हें उस गलती की सजा मिल रही है, जो उन्होंने नहीं की है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के कुकृत्यों की वजह से किसी संस्था को समाप्त कर उसमें कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ न किया जाए। जब भी कर्मचारी चयन आयोग के बारे में ठोस निर्णय लिया जाए तो कर्मचारी चयन आयोग संघ के पदाधिकारियों को भी विश्वास में लिया जाए, ताकि समस्त निर्दोष कर्मचारियों के हितों की रक्षा हो सके।

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