शिमला।
हिमाचल प्रदेश पुलिस भर्ती प्रक्रिया में चयनित 53 उम्मीदवारों ने आयोग की एक त्रुटि के कारण सूची से बाहर किए जाने पर गहरी नाराज़गी जताते हुए न्याय की गुहार लगाई है। इन उम्मीदवारों का कहना है कि उन्होंने भर्ती की पूरी प्रक्रिया ईमानदारी और नियमों के अनुसार पूरी की, लेकिन उनकी किसी भी गलती के बिना उन्हें चयन से वंचित कर दिया गया।
उम्मीदवारों के अनुसार 17 अक्टूबर 2025 को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पुलिस भर्ती का परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें वे चयनित हुए। इसके बाद उनका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और मेडिकल परीक्षण भी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सभी उम्मीदवार केवल जॉइनिंग लेटर का इंतज़ार कर रहे थे।
हालाँकि 2 नवंबर 2025 को जारी की गई फाइनल आंसर-की में एक प्रश्न का उत्तर बदला गया, जिसे लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने न्यायालय का रुख किया। इस पर माननीय हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संबंधित प्रश्न का सही उत्तर A है, न कि C। 53 उम्मीदवारों ने न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि उन्हें निर्णय से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उसी फैसले के बाद निर्दोष उम्मीदवारों को सूची से बाहर किया जाना अनुचित है।
उम्मीदवारों का कहना है कि उन्होंने वही उत्तर माना था जो आयोग द्वारा जारी की गई फाइनल आंसर-की में दिया गया था। उन्होंने न तो किसी प्रकार की धोखाधड़ी की और न ही किसी अनुचित साधन का सहारा लिया।
चयन से बाहर किए गए अभ्यर्थियों ने बताया कि कई उम्मीदवारों ने अपनी पुरानी नौकरियाँ छोड़ दी थीं, कई ने आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी रोक दी थी और परिवार व समाज में चयन की खुशी साझा की गई थी। आज वही उम्मीदवार बिना किसी गलती के बेरोज़गारी की स्थिति में खड़े हैं।
उम्मीदवारों ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में 43 पद खाली हैं, जो आरक्षित श्रेणी के हैं, और वे उन पर कोई दावा नहीं कर रहे हैं। उनकी केवल यही माँग है कि आयोग की गलती का खामियाज़ा उम्मीदवारों को न भुगतना पड़े।
उन्होंने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि उनके लिए अतिरिक्त पद सृजित किए जा सकते हैं, जिससे न्याय सुनिश्चित हो सके। अभ्यर्थियों का कहना है कि यह किसी प्रकार की दया की माँग नहीं, बल्कि न्याय की माँग है।
अंत में 53 उम्मीदवारों ने मीडिया, प्रशासन और सरकार से एक स्वर में कहा—
“हम निर्दोष हैं। हमें इंसाफ चाहिए।”

















































