तो देश के नक्शे से गायब हो जाएगा हिमाचल, जानिए सुप्रीमकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा

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ग्रीन बेल्ट को चल रहे मामले में केस जनहित याचिका में बदला

25 अगस्त को होगी सुनवाई, केंद्र को भी किया अलर्ट

प्रदेश में साल 2023 से लेकर अब तक तीन साल में बरसात में भारी नुकसान

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी प्राकृतिक आपदाओं के लिए इनसान खुद जिम्मेदार

हिमाचल में हर साल प्राकृतिक आपदाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के भविष्य को लेकर चेतावनी दी है। ग्रीन बेल्ट से संबंधित एक मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के बाद अब स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य के साथ केंद्र को भी अलर्ट किया है। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को जनहित याचिका में कन्वर्ट कर दिया है। अब इस केस की सुनवाई 25 अगस्त को तय की गई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीवी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने यह सवाल खड़े किए हैं कि यही हाल रहा तो हिमाचल प्रदेश देश के नक्शे से गायब हो जाएगा। भगवान न करे ऐसा हो। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि प्राकृतिक आपदाओं के लिए इनसान जिम्मेदार है, क्योंकि पर्यावरण और परिस्थितिकी की कीमत पर राजस्व अर्जित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का तर्क था कि हिमाचल जैसे राज्यों में बिना पर्यावरण अध्ययन के विकास योजनाओं को शुरू नहीं किया जाना चाहिए।

इससे पहले भू वैज्ञानिकों, पर्यावरण विशेषज्ञ और स्थानीय लोगों की राय लेना महत्त्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट में अब जनहित याचिका के तहत इस केस की सुनवाई होगी और राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र को भी इसमें जवाब रखना होगा। शीर्ष अदालत ने इस मामले में रजिस्ट्री को जनहित में एक रिट याचिका दर्ज करने का निर्देश भी दिया है। हिमाचल में 2023 से लेकर पिछले तीन साल से बरसात के दिनों में भारी नुकसान हो रहा है। कोर्ट ने अपनी जजमेंट में कुल्लू मनाली की नदियों और खड्डों में बहकर आई इमारती लकड़ी का भी उल्लेख किया है। कोर्ट ने कहा है कि अनियंत्रित पर्यटन विकास नुकसानदायक है। जाहिर है कि इस केस की सुनवाई के दौरान अब राज्य सरकार को भी अपने तर्क रखने होंगे।

राजस्व मंत्री बोले; ये कहना सही नहीं, हिमाचल खत्म हो जाएगा
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से हिमाचल में असंतुलित विकास को लेकर जताई गई चिंता पर कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौती है, लेकिन यह कहना कि हिमाचल खत्म हो जाएगा, सही नहीं है। विकास के साथ कुछ हद तक पर्यावरणीय प्रभाव स्वभाविक हैं, लेकिन उसे कैसे संतुलित किया जाए? यह देखना सरकार का उत्तरदायित्व है।

तारादेवी वन कटान से शुरू हुआ था ग्रीन बेल्ट का विवाद
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा ग्रीन बेल्ट का विवाद तारा देवी से शुरू हुआ था। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय तारा देवी में एक स्थान पर जंगल काट दिया गया था। इसके बाद कोर्ट ने इस क्षेत्र में नए भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट से स्थानीय निवासियों को भवन निर्माण की छूट मिल गई। अब वर्तमान सरकार ने तारा देवी ग्रीन बेल्ट अधिसूचित कर दी और इसमें कंस्ट्रक्शन पूरी तरह बैन कर दी गई है। इसी प्रतिबंध को अब चुनौती दी गई है। इस केस को जब हाई कोर्ट ने नहीं सुना तो सुप्रीम कोर्ट मामला पहुंचा।