वर्तमान समय में एक ऐसा क्षेत्र जिसके बिना मानों जीवन शुन्य और अर्थहीन हो चला है। तो वहीं जिस क्षेत्र का प्रभाव हर घर एवं कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। और जिसका लाभ हर व्यक्ति घर द्वार ले रहा है। जिसका प्रयोग छोटे से छोटे कार्य और बड़े से बड़े कार्य तक उपयोग हो रहा है। हम आज हिमाचल प्रदेश में विधुत आपूर्ति के सन्दर्भ में चर्चा एवं विश्लेषण करना चाहेंगे ,वर्तमान में अगर हम देव भूमि हिमाचल प्रदेश की बात करें तो हमारे प्रदेश में भी,विधुत आपूर्ति के सन्दर्भ में आम आदमी और प्रभावशाली व्यक्तियों का विशेष दवाब समय-समय पर देखने को मिलता है ,जबकि हम सभी को मालूम है कि विद्युत विभाग में खाली पदों की संख्या बहुत ज्यादा है, और वर्तमान में सेवारत कर्मचारी एवं अधिकारी बहुत कम है। जिसके कारण एक एक विद्युत कर्मचारी के पास अनेकों कार्य एवं विस्तृत क्षेत्र का होना और अधिकारियों के पास दो और तीन-तीन अतिरिक्त क्षेत्रों का कार्यभार का बोझ भी पड़ रहा है,तो वहीं विद्युत आपूर्ति के समय हिमाचल प्रदेश के हजारों कर्मचारी ने आजतक अपनी जान की भी बाज़ी लगाईं है।जिसका कारण एक यह भी है कि आम जनता की जल्दीबाज़ी ,आक्रोश और प्रभावशाली व्यक्तियों के किसी न किसी दबाव के कारण कर्मचारी दुर्घटना के शिकार होते आ रहे हैं।साथ ही जहां प्रदेश सरकार ने हर विभाग में ओपीएस बहाल कर दी है तो वहीं विधुत विभाग में अभी तक ओपीएस लागू नहीं हो पाई है जिसके कारण विधुत कर्मियों में कहीं ना कहीं खेद है कि हमे भी सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलनी चाहिए। जिसकी उम्मीद लगाए बैठे हैं। तो वहीं आज हम उन अधिकारीयों एवं विशेषकर कर्मचारियों के सुरक्षा के बारे में आंकलन नहीं लगा पाते कि जिस विधुत आपूर्ति के लिए कर्मचारी दिन-रात समर्पित होकर कार्य कर रहा है,उस जल्दीबाजी और बेवजह दबाव के कारण उस कर्मचारी के जीवन को ख़तरे में भी डाल रहे हैं।आज के परिप्रेक्ष्य में हर क्षेत्र में राजनीति का प्रभाव देखने को मिलता है, परन्तु विद्युत आपूर्ति के सन्दर्भ में आम जनता एवं प्रभावशाली व्यक्तियों का समय-समय पर विद्युत कर्मचारी एवं अधिकारियो पर कभी कभी अत्यधिक अपेक्षा एवं मानसिक दबाव देखने को मिलता है। तो वहीं आज हर कार्य विधुत कार्य से पूरे भी हो रहें हैं। इसलिए आज आम से लेकर ख़ास व्यक्तियों की निर्भरता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।जिन तमाम अपेक्षाओं एवं मांग के कारण कभी कभी अपने ही अधिकारी एवं कर्मचारी में मनमुटाव पैदा हो जातें हैं।इस प्रकार के घटनाक्रम हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विधुत मंडलों एवं उप मंडलों में आए दिनों देखने को मिलते हैं। जैसा कि हम सभी को मालूम है कि आजकल गर्मियों का तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, और इस मौसम में विधुत आपूर्ति में विभिन्न तकनीकी खराबी के कारण और भरपूर विद्युत सप्लाई न मिलने के कारण , विद्युत आपूर्ति बीच बीच में जाती रहती है जिसमे कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि आम लोगों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । तो वहीं आम आदमी और प्रभावशाली व्यक्तियों को इस बात को भी समझना होगा कि विद्युत विभाग एक ऐसा विभाग है जहां अगर किसी कर्मचारी पर बेवजह दबाव और जरुरत से अधिक कार्य का बोझ पड़ेगा तो वह कर्मचारी निसंदेह किसी दुर्घटना का शिकार या फिर मानसिक रूप से भी ग्रस्त रहेगा।इसी परिप्रेक्ष्य में आज हम विद्युत विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर दिन प्रतिदिन विधुत आपूर्ति को लेकर चर्चा एवं विश्लेषण करने का प्रयास कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर विद्युत विभाग में आज के परिप्रेक्ष्य में विद्युत कर्मचारीयों एवं अधिकारियो की संख्या भी कम रह गई है, जबकि सरकार की ओर से विद्युतीकरण शत् प्रतिशत रखा गया है और अधिकांश गांव एवं क्षेत्र विद्युत आपूर्ति से कवर भी हो चुके है। तथा कर्मचारियों एवं अधिकारियो पर अधिक दबाव एवं अतिरिक्त बोझ शहरों में अधिक देखने को मिलता है । जहां गर्मी का अधिक प्रकोप देखने को मिलता है तो वहीं अनैको प्रकार के कारखाने इत्यादि होने की वजह से भी हमेशा कर्मचारियों पर दबाव बना रहता है। तो वहीं हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों एवं दूर दराज के गांव में विद्युत आपूर्ति सूचारु रूप से चलाना भी एक बड़ी चुनौती रहतीं हैं। जिसमें सबसे बड़ी समस्या कर्मचारियों की संख्या कम हो जाना,और भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार बहुत विस्तृत होना इत्यादि अनेकों कारण देखने एवं सुनने को मिलते हैं। इसलिए आज आम आदमी और प्रभावशाली व्यक्तियों को भी इस बात को समझने की परम् आवश्यकता है, कि हमारी जल्दीबाजी के कारण किसी का घर का एकलौता चिराग ना बुझ जाए, इसलिए आज इस बात को सुनिश्चित करने की भी शाय़द परम् आवश्यकता है। क्योंकि विद्युत आपूर्ति कुछ देर से ही क्यों न आ जाए, परन्तु अगर कोई विधुत कर्मी विधुत आपूर्ति के दौरान दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो उस परिवार की भरपाई ताउम्र कोई नहीं कर सकता है। इस बात को भी हमें समझना पड़ेगा। इसलिए आप सभी से भी हाथ जोड़कर विनती एवं निवेदन रहेगा कि आप इस छोटे से सन्देश को अपने-अपने स्तर पर अधिक से अधिक लोगों एवं समाज तक पहुंचाने का प्रयास करें, ताकि किसी ना किसी तक यह सन्देश पहुंच पाएं।
*स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर*