बाबा भूरेशाह मजार कुल्हाल को तोड़े जाने की अफवाह से वहां भारी भीड़ जमा हो गई। इस दौरान भीड़ में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी भी शामिल रहें।
इस बारे में जानकारी देते हुए कुल्हाल पंचायत के मौजिज और बाबा भूरेशाह दरगाह के हकदार रहे मोहम्मद इरशाद ने बताया कि वन विभाग साजिश के तहत इस दरगाह को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं यह दरगाह तकरीबन 300 साल से भी अधिक पुरानी है जब वन विभाग ने इस मंजार को लेकर हमसे कागज मांगे थे तो हमने गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब कमेटी से संपर्क किया और वहां से हमें 1685 के कुछ कागजात हमें मिले जिसमें इस दरगाह की बात की गई है यानी यह कहा जा सकता है कि बाबा भूरेशाह की मजार 300 वर्ष से भी अधिक पुरानी है। उन्होंने कहा कि यह मजार सिर्फ मुसलमानों की नहीं बल्कि हिंदू और सिख एकता की भी प्रतीक है ऐसी मजार को तोड़कर वन विभाग आखिर क्या साबित करना चाहता है।
उन्होंने बताया कि भूरेशाह बाबा की मजार वक्फ बोर्ड की संपत्ति है अगर इसे कोई नुकसान पहुंचाया गया तो आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वन विभाग के कुछ अधिकारी अपनी मनमर्जी कर रहे हैं बार-बार 300 वर्ष से भी अधिक पुरानी मजार को तोड़ने की धमकियां दी जा रही है।
ऐसा बताया जाता है कि जिला सिरमौर की रियासत में यह मजार हुआ करती थी और उस वक्त जिला सिरमौर की रियासत हरिद्वार के नजदीक तक फैली थी।
वहीं वन विभाग ने एक बार फिर बाबा भूरेशाह मजार प्रबंधकों को नोटिस थमते हुए कहा कि इस मजार को जाने वाला रास्ता और मजार के आसपास हुई कंस्ट्रक्शन अतिक्रमण श्रंखला में आता है। जमीन पर हुए अतिक्रमण को बाबा भूरेशाह प्रबंधक कमेटी या तो खुद हटाए वरना वन विभाग हटा देगा और हटाने का पूरा खर्चा प्रबंधक कमेटी को देना होगा।