सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित कलेसर वन्यजीव अभयारण्य के अंदर चार प्रस्तावित बांधों के निर्माण पर बुधवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले पर केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बांधों का निर्माण न केवल कलेसर में वन्यजीवों और आबादी के लिए हानिकारक होगा, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी नुकसानदेह होगा और जिस उद्देश्य के लिए बांधों का निर्माण प्रस्तावित है, वह भी हासिल नहीं किया जा सकेगा। पीठ ने नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया कि बांधों के निर्माण की दिशा में तब तक कोई कदम नहीं उठाया जाए, जब तक कि इस अदालत द्वारा कोई आदेश नहीं पारित किया जाता है।
कलेसर वन्यजीव अभयारण्य के अंदर चार बांधों – चिकन, कांसली, खिल्लनवाला और अंबावली के निर्माण के खिलाफ वकील गौरव बंसल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें कहा गया है इससे क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। बंसल ने पीठ के समक्ष दलील दी कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की रिपोर्ट पर गौर किए बिना वन्यजीव अभयारण्य के अंदर बांध बनाने की अनुमति दी है। जबकि रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे बांधों की कोई आवश्यकता नहीं है।