अनुमान के मुताबिक़ 1 लाख श्रद्धालु रोजाना देश विदेश से यहां दर्शनार्थ आते हैं और लंगर प्रसादी ग्रहण( छकते )करते हैं।

साल दर साल जब से हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारे का निर्माण हुआ है ( लगभग 450 साल ) तब से ही ये सेवा अनवरत जारी है। ये अपने आप में विश्व रिकार्ड है और गिनीज बुक में दर्ज है। आओ आपको सम्पूर्ण जानकारी देते हैं| अमृतसर के रामदास जी लंगर हाल की।

• यह सिखों के पवित्र स्थल का वह निशुल्क रसोई घर है जहाँ एक लाख (1,00,000) लोग प्रति दिन लंगर छकते है।

• भारत का पहला ऐसा मुफ्त रसोई घर जहाँ 2 लाख
(2,00,000) रोटियाँ और 1.5 टन दाल रोज़ाना बनती है।

• 2 लाख रोटियाँ और 1.5 टन दाल का लंगर तकरीबन 1लाख संगत एवं श्रद्धालुओं द्वारा छका जाता है।

• हर रोज़ इतना लंगर उत्पादन और छकने वाला यह
आंकड़ा पश्चिमी भारत के अमृतसर शहर के पवित्र
गुरुद्वारा दरबार साहिब के इस निशुल्क रसोई घर को सब श्रेणियों से महान एवं श्रेष्ठ रखता है।

• यह आंकड़ा विशेष मौकों एवं छुट्टियों के दिनों में
दोगुना भी हो जाता है। परन्तु लंगर में कभी कमी नहीं आती। सामान्य तौर पर लंगर में लगने वाली सामग्री 7000 किलो आटा 1200 किलो चावल 1300 किलो दाल 500 किलो शुद्ध देसी घी रोज़ाना इस्तेमाल होता है।

• इस रसोई घर में लंगर बनाने के लिए तरह तरह की
तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे लकड़ी का LPG गैस का और इलेक्ट्रॉनिक रोटी बनाने की मशीन का। अनुमानत 100 सिलिंडर एवं 500 किलो लकड़ी प्रति दिन इस्तेमाल होती है।

• एवं तकरीबन 450 सेवादार इस निशुल्क रसोई घर में सेवा करते है। जिसमे अन्य बाहर से आयी संगत भी सेवा में लग जाती है जिसकी संख्या सैंकड़ों में होती है।

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