सिरमौर: संस्कृति, आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य की अद्भुत भूमि

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हिमाचल प्रदेश का दक्षिणी जिला सिरमौर अपनी विशिष्ट संस्कृति, धार्मिक आस्थाओं, ऐतिहासिक विरासत और अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। शिवालिक की गोद में बसा यह जिला न केवल पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की लोक-परंपराएं और देव संस्कृति भी इसे अलग पहचान देती हैं।

समृद्ध संस्कृति और लोक परंपराएं

सिरमौर की संस्कृति सादगी, आस्था और सामूहिकता की मिसाल है। यहाँ के लोग आज भी अपनी लोक परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं।
• लोक नृत्य ‘नाटी’: सिरमौर की नाटी अपनी अलग लय और सामूहिक नृत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। विवाह, मेलों और धार्मिक आयोजनों में ढोल-दमाऊ की थाप पर यह नृत्य आकर्षण का केंद्र रहता है।
• देव संस्कृति: सिरमौर को ‘देवभूमि’ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। महासू महाराज, चालदा महासू, बूढ़ा देव, शिरगुल महाराज सहित अनेक लोकदेवताओं की मान्यता यहाँ गहरी है।
• पहनावा और रहन-सहन: पारंपरिक ऊनी वस्त्र, सिरमौरी टोपी और सरल जीवनशैली यहाँ की पहचान है।

पारंपरिक खान-पान

सिरमौर का भोजन स्वाद के साथ-साथ पहाड़ी जीवनशैली को दर्शाता है।
• पटांडे: घी और शक्कर के साथ खाया जाने वाला यह व्यंजन विशेष अवसरों पर बनाया जाता है।
• सिड्डू, अस्कली और भट्ट की दाल: स्थानीय लोगों की पसंदीदा पारंपरिक डिशेज़ हैं।

प्रमुख मेले व त्यौहार
• श्री रेणुका जी मेला: अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र है। माँ रेणुका जी और भगवान परशुराम से जुड़ी मान्यताओं के चलते हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुंचते हैं।
• त्रिलोकपुर मेला: माता बालासुंदरी मंदिर में लगने वाला यह मेला उत्तरी भारत के सबसे बड़े शक्ति पीठ मेलों में गिना जाता है।
• बिसू व हरियाली त्यौहार: कृषि और प्रकृति से जुड़े ये पर्व ग्रामीण जीवन की आत्मा को दर्शाते हैं।

️ पर्यटन और प्राकृतिक धरोहर

सिरमौर पर्यटन की अपार संभावनाओं से भरा जिला है।
• रेणुका झील: हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील।
• चूड़धार चोटी: हिमाचल की सबसे ऊँची चोटियों में से एक, जहाँ से बर्फीले पहाड़ों का मनोरम दृश्य दिखता है।
• नाहन: ऐतिहासिक राजधानी, स्वच्छता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध।
• पांवटा साहिब: सिख धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल।
• राजगढ़: ‘पीच बाउल’ के नाम से विख्यात, सेब व आड़ू के बागानों के लिए प्रसिद्ध।

निष्कर्ष

सिरमौर केवल एक जिला नहीं, बल्कि संस्कृति, श्रद्धा और प्रकृति का जीवंत संगम है। यदि हिमाचल की असली आत्मा को करीब से जानना हो, तो सिरमौर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।

— विशेष संवाददाता, AMH News