पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव तय समय से आगे टलने के मामले में कैबिनेट में चर्चा हो सकती है। पंचायतीराज विभाग की ओर से इस मामले को कैबिनेट में लाया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव तय समय से आगे टलने के मामले में कैबिनेट में चर्चा हो सकती है
पंचायतीराज विभाग की ओर से इस मामले को कैबिनेट में लाया जा रहा है। सरकार ने पहले ही आपदा प्रबंधन अधिनियम में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव पूरे राज्य में उचित सड़क संपर्क बहाल होने के बाद ही करने के निर्देश दिए हैं। यह इसलिए ताकि आम जनता और मतदान कर्मियों को कोई असुविधा न हो। क्षतिग्रस्त सड़कों और सार्वजनिक, निजी संपत्ति की प्रतिकूल स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। मंत्रिमंडल में इसको लेकर सबकी राय ली जानी है। हालांकि, जिलों में अभी तक व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट आई है। अभी भी कई जिलों में सड़कें और पैदल चलने वाले रास्ते खराब हैं।
हिमाचल में जनवरी 2026 में जिला परिषद, बीडीसी सदस्य, प्रधान, उपप्रधान और सदस्यों का कार्यकाल पूरा होना है। अगर चुनाव आगे टाले जाते हैं तो पंचायतों में प्रशासक की तैनाती करनी पड़ेगी। हिमाचल में बारिश क्षति पहुंचाई है। भारी बारिश के दौरान बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में 47 बादल फटने, 98 बाढ़ और 148 बड़ी भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गईं। विभिन्न घटनाओं में 270 लोगों की जान चली गई। इस अवधि में सड़क दुर्घटनाओं में 198 लोगों की मौत हुई। कुल 1817 घर पूरी तरह से और 8323 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 2025 के मानसून के दौरान कुल 5,426 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अभी भी बहुत नुकसान का आकलन और रिपोर्ट किया जाना बाकी है।

