श्राद्ध और पिंडदान के लिए इन 5 स्थानों को माना गया है बेहद पवित्र, पितरों को मिलता है मोक्ष !!

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हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है। इस साल पितृ पक्ष 07 सितंबर से शुरु होकर 21 सितम्बर को समाप्त होने वाले हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलने के साथ उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं भारत के उन 5 तीर्थ स्थानों के बारे में, जिन्हें पिंडदान के लिए खास माना गया है।

*1. वाराणसी :* हिंदू धर्म ग्रंथों में वाराणसी को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है। माना जाता है कि वाराणसी में विधिपूर्वक पिंड दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां पिंड दान करने वाला व्यक्ति पिंडदान करने के बाद वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन जरूर करता है।

*2. गया (बिहार) :* बिहार में स्थित बोधगया फल्गु नदी के तट पर बसा है। माना जाता है कि फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से पितरों को स्वर्ग में जगह मिलती है और वो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। इस तीर्थ का वर्णन रामायण में भी मिलता है। पिंडदान के लिए गया में 20 से भी अधिक जगह हैं। यह बोधगया से 13 किलोमीटर उत्तर तथा राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

*3. ब्रह्म कपाल, बद्रीनाथ*
*उत्‍तराखंड :* बदरीनाथ में स्थित ब्रह्मकपाल घाट के बारे में कहा जाता है कि यहां किया गया पिंडदान गया से भी 8 गुना अधिक फलदायी होता है। यहां पिंडदान और श्राद्ध करने से अकाल मृत्यु को प्राप्‍त हुए पूर्वजों की आत्‍मा को तत्‍काल मुक्ति मिल जाती है। बताया जाता है कि यह वही जगह है जहां भगवान शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी।

*4. पुष्‍कर, राजस्‍थान :* राजस्‍थान का धार्मिक स्‍थल पुष्‍कर भी श्राद्ध कर्म के लिए बेहद खास माना जाता है। यहां ब्रह्माजी का विश्‍व प्रसिद्ध मंदिर है। यहां की पवित्र झील के बारे में कहा जाता है, कि इसकी उत्‍पत्ति भगवान विष्‍णु की नाभि से हुई है। यहां पर बने 52 घाट में हर साल पिंडदान करने लोग दूर-दूर से आते हैं।

*5. हरिद्वार :* लोगों के बीच मान्यता है कि हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे पितरों को तर्पण, पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति होती है। यहां पिंडदान के बाद लोग गंगा किनारे आरती और मंदिरों के दर्शन जरूर करते हैं।

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