पांवटा साहिब के बीचोंबीच स्थित वार्ड नंबर 5 और 7 की हालत इन दिनों बेहद चिंताजनक है।
यहां गंदगी, बदबू, टूटी सड़कें और पानी की किल्लत ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से हालत जस की तस बनी हुई है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
नाले में बहता शहर भर का गंदा पानी
वार्ड 5 और 7 के बीच एक खुला गंदा नाला बहता है।
इसमें पूरे शहर का गंदा पानी और कचरा लगातार गिरता रहता है।
नाले के पास रहने वाले लोगों के लिए यह बीमारी और बदबू का स्थायी स्रोत बन चुका है।
मक्खियां, मच्छर और बदबू हर वक्त घरों में मौजूद रहती है।
सड़क नहीं, रास्ता भी नहीं
इस क्षेत्र में आज तक ठोस सड़क नहीं बनी।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनकी तीन पीढ़ियां यहां रह चुकी हैं, लेकिन आज तक सड़क नहीं देखी।
आपातकालीन स्थिति में गाड़ी लाना संभव नहीं होता।
एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड या कचरा वाहन भी रास्ते में ही लौट जाते हैं।
गंदगी का अड्डा बना नाला
नगर परिषद की कचरा गाड़ी पूरी बस्ती में नहीं आ पाती।
ऐसे में लोग मजबूरी में घर का कचरा सीधे नाले में ही फेंक देते हैं।
इससे नाले की हालत और बदतर हो चुकी है।
बरसात में यह गंदा पानी आसपास के घरों तक पहुंचने लगता है।
हर चुनाव में वादा, हर बार धोखा
स्थानीय पार्षदों ने चुनाव के समय वादा किया था कि नाले को ढका जाएगा।
लेकिन नगर परिषद को बने हुए 5 साल बीत चुके हैं, नाला आज भी खुला है।
लोगों का कहना है कि यह मुद्दा हर बार चुनावी घोषणाओं में शामिल रहता है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते हैं।
पानी के लिए संघर्ष
वार्ड 5 के कई घरों में आज भी नल की सुविधा नहीं है।
लोगों को दूर से पानी लाना पड़ता है या किसी अन्य के घर से पैसे देकर भरना पड़ता है।
21वीं सदी में भी पानी जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव लोगों को निराश करता है।
आवारा कुत्तों का आतंक
नाले के आसपास आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है।
बच्चे हों या बड़े, अकेले चलना मुश्किल हो गया है।
कई बार ये कुत्ते लोगों पर हमला भी कर चुके हैं।
लेकिन इस ओर प्रशासन की कोई सक्रियता नहीं दिखती।
नगर परिषद ने कहा – जल्द होगी बैठक
इस मुद्दे को लेकर एचडी इंपॉर्टेंट साइट से बात की गई।
उन्होंने कहा कि इस नाले को लेकर जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी।
बैठक में नाले की दशा सुधारने और समस्या का स्थायी हल निकालने पर चर्चा होगी।
निष्कर्ष: क्या बदलेगा कभी हाल?
पांवटा साहिब का यह इलाका जनता की मजबूरी और तंत्र की लापरवाही का आईना बन गया है।
गंदगी, टूटी सड़कें, पानी की किल्लत और डर का माहौल अब सामान्य दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।
लोग सवाल कर रहे हैं – “क्या कभी हमारी बस्ती भी शहर के बाकी हिस्सों जैसी बन पाएगी?”
अब देखना है कि प्रशासन इस बार वादे निभाता है या फिर जनता को एक और चुनाव का इंतज़ार करना होगा।