दिल्ली के सहयोग बिना शिमला की कुर्सी नहीं चलती” — जब डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा: मैं हूं न, प्रेम कुमार धूमल

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The Chief Minister of Himachal Pradesh, Shri Prem Kumar Dhumal meeting with the Prime Minister Dr. Manmohan Singh, in New Delhi on December 31, 2007.

जब डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे मैंने कहा, दिल्ली के सहयोग के बिना शिमला की कुर्सी नहीं चलती, वे बोले- मैं हूं न प्रेम कुमार धूमल

सरल और सौम्य स्वभाव के राज्यसभा के सदस्य थे तो मैं भी लोकसभा का सदस्य था। डा. मनमोहन सिंह बहुत मुटुभाषी और सज्जन सांसद थे जिनकी आर्थिक मामलों पर गजव की पकड़ थी। आर्थिक मामलों पर संसद में कभी-कभी चौलने का मौका मुझे भी मिल जाता था। जब कभी शे’र के माध्यम से हम कोई बात कहते तो डा. साहिब बहुत उपयुक्त शे’र के साथ जवाब देते थे। संसद के गलियारे में जब भी उनसे भेंट होती तो बड़े स्नेह से हालचाल पूछते थे। हमारी बात अक्सर संक्षिप्त होती थी पर स्नेहपूर्ण होती थी। 30 दिसंबर, 2007 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर शिमला रिज में मेरो शपथ हुई। में सीधा दिल्ली चला गया। 31 दिसंबर को प्रधानमंत्री जी से मिलने का समय मांगा तो उनके कार्यालय ने मेरे निजी सचिव को सूचित किया कि दो-तीन मिनट का समय ही मिल सकता है। हमने भी उत्तर में कहा कि थोड़ी ही बात करनी है। मेरे लिए जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य था कि कमरे का दरवाजा खोलते ही स्वयं डा. साहब

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह फड़ल फोटो

सामने खड़े थे। उन्होंने बड़े प्यार से बिठाया और कहा, ‘प्रेम कुमार जी। वैसे तो मेरी पार्टी हारी है पर मुझे खुशी है कि आप मुख्यमंत्री बने हैं।’ काफी देर तक विभिन्न विषयों पर चचर्चा हुई तो मैंने कहा, ‘डा. साहब मैंने कल शपथ ली थी पर में कुर्सी पर नहीं बैठा क्योंकि शिमला की कुर्सी दिल्ली के सहयोग और आशीर्वाद के बगैर टिकती नहीं हैं।’ उत्तर में डा. मनमोहन सिंह ने जो कहा वे शब्द में तब तक नहीं भूलूंगा, जब तक जीवित हूं। उन्होंने जो अंग्रेजी में कहा वह हिंदी में यूं है, ‘प्रेम कुमार धूमल जी, कोई भी समस्या हो, फोन उठाइए, आपका मित्र जवाब देगा।’

मैं विदा लेने लगा तो डा. साहब फिर उठे और दरवाजे तक मुझे छोड़ा।

कई बार लोग उन पर कटाक्ष करते थे कि वह बोलते नाहीं, पर वह हर व्यक्ति को बहुत ध्यान से सुनते थे। जब लोगों ने उनके व्यक्तित्व को निकट से परखा तो उन्हें आभास हुआ कि मनमोहन मंद-मंद मुस्कान से जैसे सबको यह कहते हों, ‘मैं सब जानता हूं। आप गलतफहमी का शिकार होते रहें।’ आज एक ऐसा व्यक्तित्व हमारे बीच में से उठ गया है, जिसे सदियों तक जमाना याद रखेगा। शत शत नमन डा. मनमोहन सिंह जी।

प्रो. प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री

हिमाचल प्रदेश।