गुरु गोबिंद सिंह जी की स्मृतियों से जुड़ा पावन स्थल: गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब

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पांवटा साहिब, जिला सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब सिख समुदाय का एक अत्यंत श्रद्धेय तीर्थ स्थल है, जो सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की स्मृतियों से जुड़ा है। यह वही स्थान है जहाँ गुरु जी ने दशम ग्रंथ की रचना की थी और अपने जीवन के चार महत्वपूर्ण वर्ष व्यतीत किए थे।

“पांवटा” शब्द का अर्थ होता है – जहाँ पैर टिके हों। कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी यहाँ रुके थे, और यहीं से उन्होंने धर्म और राष्ट्र सेवा की दिशा में नई शुरुआत की थी। गुरुद्वारे की भव्यता, यमुना नदी के तट पर इसका शांत वातावरण और गुरु जी की ऐतिहासिक वस्तुओं को संजोता संग्रहालय श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण है।

इतिहास के अनुसार, संक्रांति 1742 संवत (1685 ई.) को इस स्थान की नींव रखी गई थी। नाहन के तत्कालीन राजा मेदनी प्रकाश ने गुरु गोबिंद सिंह जी को अपने राज्य में आमंत्रित किया था। गुरु जी ने भंगाणी के युद्ध में अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई और मात्र 20 वर्ष की आयु में 25 हजार की फौज का सामना कर जीत हासिल की।

पांवटा साहिब के आस-पास अनेक ऐतिहासिक गुरुद्वारे स्थित हैं:
• गुरुद्वारा भंगाणी साहिब – प्रथम युद्ध का साक्षी स्थल।
• गुरुद्वारा तीरगढ़ी साहिब – जहाँ गुरु जी ऊँचाई से तीर चलाकर युद्ध करते थे।
• गुरुद्वारा रणथंम साहिब – रणभूमि में विजय की रणनीति का केंद्र।
• गुरुद्वारा शेरगढ़ साहिब – जहाँ गुरु जी ने आदमखोर शेर का वध कर इलाके को भयमुक्त किया।
• गुरुद्वारा कृपाल शिला, दशमेश दरबार, टोका साहिब और बडू साहिब – गुरु जी के प्रवास और साधना से जुड़े पवित्र स्थल हैं।

कैसे पहुंचे पांवटा साहिब:
यह नगर चंडीगढ़-देहरादून एनएच-07 पर स्थित है। दिल्ली, चंडीगढ़, देहरादून व पंजाब के कई शहरों से बस सेवा उपलब्ध है। नजदीकी रेलवे स्टेशन – अंबाला, यमुनानगर, चंडीगढ़ और देहरादून हैं। एयरपोर्ट – चंडीगढ़ व देहरादून।

महत्वपूर्ण दूरियाँ:
• देहरादून – 45 किमी
• नाहन – 45 किमी
• यमुनानगर – 50 किमी
• चंडीगढ़ – 125 किमी
• अंबाला – 105 किमी
• शिमला – 180 किमी (वाया सराहां)

✍️ यह लेख AMH News की प्रस्तुति है।
“श्री पांवटा साहिब” केवल एक गुरुद्वारा नहीं, यह सेवा, साहस और समर्पण की जीती-जागती मिसाल है।