खनन बंदी के बावजूद सैकड़ों ट्राले भरकर जा रहा माल, उठे गंभीर सवाल

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फरीदाबाद/प्रदेश। प्रदेश सरकार ने 15 सितम्बर तक खनन कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध (Mining Ban) लगाया हुआ था। नियमों के अनुसार इस अवधि में न तो कोई नया खनन किया जा सकता है और न ही बजरी, रेत व पत्थर जैसे कच्चे खनिज निकाले जा सकते हैं। इसके बावजूद क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ों ट्राले व डंपर खनिज सामग्री से भरे हुए दिखाई दे रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इतना भारी परिवहन केवल “पुराने स्टॉक” के दम पर संभव नहीं हो सकता। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर खनन बंदी के बाद भी यह माल कहाँ से आ रहा है?

तीन संभावित कारण सामने आए हैं —
1. पुराने स्टॉक का बहाना:
क्रशर व खनन कंपनियाँ अक्सर दावा करती हैं कि यह माल बंदी से पहले का जमा किया हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक सैकड़ों ट्रालों को चलाने लायक स्टॉक क्रशरों के पास होना व्यावहारिक नहीं है।
2. अवैध खनन व सप्लाई:
रात के समय या दुर्गम इलाकों में चोरी-छिपे खनन जारी रहने की आशंका है। वैध परमिट या पुराने स्टॉक के दस्तावेज़ दिखाकर ट्रकों को पास करा दिया जाता है।
3. प्रशासनिक मिलीभगत:
खनन माफ़िया और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों की अनदेखी होना भी बड़ा कारण माना जा रहा है। कागज़ों में यह ट्रांसपोर्ट ‘स्टॉक’ दिखाया जाता है, लेकिन असलियत में नया खनन हो सकता है।

निष्कर्ष:
विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों की राय में प्रतिदिन इतनी बड़ी मात्रा में खनिज की आवाजाही केवल “स्टॉक” के नाम पर संभव नहीं है। यह स्थिति साफ़ संकेत देती है कि या तो खनन बंदी की आड़ में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है, या फिर पुराने स्टॉक के नाम पर नया खनिज बाज़ार में भेजा जा रहा है।

अब सवाल यह है कि प्रशासन इस पर कब तक आँख मूँद कर बैठेगा?
[14/09, 9:25 am] ANURAG GUPTA & Associates: खनन बंदी के बावजूद सैकड़ों ट्राले भरकर जा रहा माल, उठे गंभीर सवाल

प्रदेश सरकार ने 15 सितम्बर तक खनन कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध (Mining Ban) लगाया हुआ था। नियमों के अनुसार इस अवधि में न तो कोई नया खनन किया जा सकता है और न ही बजरी, रेत व पत्थर जैसे कच्चे खनिज निकाले जा सकते हैं। इसके बावजूद क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ों ट्राले व डंपर खनिज सामग्री से भरे हुए दिखाई दे रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इतना भारी परिवहन केवल “पुराने स्टॉक” के दम पर संभव नहीं हो सकता। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर खनन बंदी के बाद भी यह माल कहाँ से आ रहा है?

तीन संभावित कारण सामने आए हैं —
1. पुराने स्टॉक का बहाना:
क्रशर व खनन कंपनियाँ अक्सर दावा करती हैं कि यह माल बंदी से पहले का जमा किया हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक सैकड़ों ट्रालों को चलाने लायक स्टॉक क्रशरों के पास होना व्यावहारिक नहीं है।
2. अवैध खनन व सप्लाई:
रात के समय या दुर्गम इलाकों में चोरी-छिपे खनन जारी रहने की आशंका है। वैध परमिट या पुराने स्टॉक के दस्तावेज़ दिखाकर ट्रकों को पास करा दिया जाता है।
3. प्रशासनिक मिलीभगत:
खनन माफ़िया और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों की अनदेखी होना भी बड़ा कारण माना जा रहा है। कागज़ों में यह ट्रांसपोर्ट ‘स्टॉक’ दिखाया जाता है, लेकिन असलियत में नया खनन हो सकता है।

निष्कर्ष:
विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों की राय में प्रतिदिन इतनी बड़ी मात्रा में खनिज की आवाजाही केवल “स्टॉक” के नाम पर संभव नहीं है। यह स्थिति साफ़ संकेत देती है कि या तो खनन बंदी की आड़ में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है, या फिर पुराने स्टॉक के नाम पर नया खनिज बाज़ार में भेजा जा रहा है।

अब सवाल यह है कि प्रशासन इस पर कब तक आँख मूँद कर बैठेगा?