जैसा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों एवं क्षेत्रों में निजी स्कूलों की फिस बढ़ौतरी को लेकर जनता में समय-समय पर आक्रोश और चिंता देखने एवं सुनने को मिलती हैं, जो आमतौर उन तमाम आम-आदमी और ग़रीब व्यक्तियों पर दिन प्रतिदिन आर्थिक रूप से बोझ पड़ता जा रहा है।जो एक गंभीर और जनहित की समस्या है, जैसा कि समय-समय पर समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया के माध्यम से आएं दिन खवरे प्रकाशित होती है, कि अभी इस स्कूल के द्वारा फिस बढ़ौतरी की गई तो कभी किसी अन्य निजी स्कूलों के फिस बढ़ौतरी की खबरें सूनने को मिलती हैं,इसी परिप्रेक्ष्य में हिमाचल प्रदेश सरकार से भी जनहित में यह निवेदन और आग्रह रहेगा कि निजी स्कूलों के इस प्रकार के मनमर्जी फिस बढ़ौतरी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार भविष्य में नियम बनाने की पैरवी करें, क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों में स्टाप के अभाव एवं बेहतर शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में लोगों को मजबूरन निजी स्कूलों की और रुख़ करना पड़ता है, तो वहीं वर्तमान में निजी स्कूलों की और लोगों का एक ख़ासा रुझान भी देखने को मिलता है, जिसके कारण सरकारी स्कूलों से मानों जैसे निजी स्कूलों में पलायन हो रहा है, जिसके अनेकों कारण अलग-अलग क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। परन्तु वर्तमान में अगर कोई बड़ी और गंभीर समस्या उत्पन हो रही है तो वह है हिमाचल प्रदेश के विभिन्न निजी स्कूलों में फिस बढ़ौतरी का विषय, जिनको नियंत्रण करने के लिए प्रदेश सरकार को कोई न कोई कानून एवं नियम बनाने की परम् आवश्यकता है ताकि आम लोगों को आर्थिक रूप से कुछ ना कुछ राहत भविष्य में मिल सकें। अन्यथा भविष्य में जिस प्रकार हर वर्ष निजी स्कूलों में फिस बढ़ौतरी की मानो परम्परा सी चल पड़ी है, प्रदेश के अनेकों निजी स्कूलों में मानों शिक्षा के रूप में व्यापारीकरण हो रहा हो, तो वहीं महंगाई के इस दौर में आम आदमी और गरीब व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी चुनौती और समस्या देखने एवं सुनने को मिलती हैं। सरकार को भी इस गंभीर विषय पर कड़े कदम उठाने और समाजहित में फैसले लेने की आवश्यकता है, तो वहीं अगर प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश के विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के अधिकांश रिक्त पदों को भरने की पैरवी की जाती है तो भी कही ना कही आम आदमी और गरीब व्यक्तियों को घर द्वार बेहतर और स्थानीय तौर पर मुफ्त शिक्षा मिल सकती है, तो वहीं अनुभवी और उच्च शिक्षित शिक्षकों के अनुभवों से भी छात्र लाभांवित हो सकतें हैं, तो वहीं यहां सोचने एवं आत्मचिंतन करने की परम् आवश्यकता यह भी है कि जितने भी पूर्व में सरकारी स्कूलों में छात्र छात्राओ ने शिक्षा ग्रहण की वह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के विभिन्न विभागों में उच्च पदों पर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और क्षेत्र समाज का नाम गौरवान्वित महसूस करवा रहे हैं, जबकि निजी स्कूलों में इस प्रकार के परिणाम अधिकांश क्षेत्रों एवं शिक्षण संस्थाओं में संभव देखने एवं सुनने को नहीं मिल पाते।इस प्रकार आज हम आप सभी के समक्ष ऐसे गंभीर विषय पर चर्चा एवं विश्लेषण करना चाह रहे हैं जिस आर्थिक समस्या का सम्बन्ध हर आम आदमी और गरीब व्यक्ति का सरोकार रहता है।इस प्रकार हम सभी युवाओं एवं समाज का भी नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम मिलकर सरकार प्रशासन के माध्यम से जनहित के इस प्रकार के गंभीर विषय को समय-समय पर उठाने का प्रयास करें ताकि सरकार और प्रशासन भी इन सभी गंभीर विषय पर भविष्य में सख्त निर्देश एवं नियम बनाने की पैरवी कर सकें। तथा ऐसे सामुहिक विषयों जनता को जागरूक होने और संघटित होने की परम् आवश्यकता है, ताकि वर्तमान सरकार का ध्यान ऐसे महत्वपूर्ण और गंभीर विषय पर लाया जा सकें,तो वहीं तमाम पत्रकार बन्धुओं से भी निवेदन और आग्रह रहेगा कि जनहित के इन मुद्दों को समय-समय पर उठाने का प्रयास करेंगे ताकि जन जन तक और सरकार तक मिडिया बन्धुओ के माध्यम से आवाज़ बुलंद हो सकें,ऐसी उम्मीद और आशा करते हैं। अन्यथा भविष्य में निजी स्कूलों में फिस बढ़ौतरी का यह असर गरीब व्यक्तियों की मानों कमर ही तोड़ देगा,अगर समय से सरकार एवं प्रशासन लगाम नहीं लगा पाया तो।
स्वतन्त्र लेखक-हेमराज राणा सिरमौर